Sunday, 1 March 2015
हिन्दी भाषी क्षेत्र को लाल रंगने के लिए फैसलों को अमलीजामा पहनाना पड़ेगा --- जितेंद्र हरि पांडे
वैसे तो केंद्र सरकार को कारपोरेट कंपनियों की तर्ज़ पर चलाने की शुरुआत लगभग तीस वर्ष पूर्व राजीव गांधी ने की थी । परंतु वर्तमान केंद्र सरकार कारपोरेट जगत की रहनुमा है इस तथ्य को भाकपा के राष्ट्रीय सचिव कामरेड अतुल कुमार सिंह 'अंजान' ने भी 22वें राज्य सम्मेलन के मौके पर माना है। हिन्दी भाषी क्षेत्रों विशेष कर उत्तर प्रदेश व बिहार में सफल हुये बगैर पार्टी देश में एक मजबूत विकल्प नहीं बन सकती है यह एक अकाट्य सत्य है। आर के शर्मा जी की कामना है कि यह सम्मेलन हिन्दी भाषी क्षेत्रों को लाल रंग से भर दे। इस सदिच्छा को लागू करने हेतु जितेंद्र हरि पांडे जी का बिलकुल सही आंकलन है कि " लिए गए फैसलों को अमलीजामा पहनाना पड़ेगा तभी संभव होगा। "
इस संबंध में भावेश भारद्वाज जी द्वारा व्यक्त विचार भी बहुत महत्व रखते हैं :
1987 में कामरेड रमेश सिन्हा द्वारा बताया गया ' चमकता-दमकता युवा चेहरा ' जो अब पार्टी का उत्तर-प्रदेश में स्वमभू 'किंग मेकर' के रूप में कार्य करने का अभ्यस्त हो चुका है प्रदेश में पार्टी को मजबूत न होने देने के लिए अपने अनुकूल नेतृत्व चुनवाता रहा है जिस कारण दो बार पार्टी-विभाजन भी हो चुका है। ऐसे ही लोग वाम -पंथ में टूटन के लिए उत्तरदाई हैं। यदि सम्मेलन इन लोगों की तिकड़म से बचने में सफल रहता है तो निश्चय ही हिन्दी-भाषी क्षेत्रों में पार्टी को मजबूती दिलाने व लिए गए निर्णयों को लागू कराने के कार्य सम्पन्न हो सकेंगे। इस हेतु हमारी हार्दिक शुभकामनायें -----
(विजय राजबली माथुर )
***************************************************************
Comment on facrbook :
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment