भारतीय महिला फेडरेशन और भकपा,उ .प्र.की वरिष्ठ नेत्री कामरेड आशा मिश्रा जी भी तरुण तेजपाल की गिरफ्तारी की मांग करते हुये |
एक ओर तो वरिष्ठ नेताओं की ओर से तरुण तेजपाल की गिरफ्तारी की मांग की जा रही है तो दूसरी ओर वामपंथी रुझान वाले चिंतक उसका बचाव भी कर रहे हैं। ऐसा क्यों है?
क्योंकि वामपंथियों के मध्य 'धर्म' की गलत अवधारणा प्रचलित है जबकि-
'धर्म'=जो शरीर को धरण करने के लिए आवश्यक है जैसे-'सत्य','अहिंसा','अस्तेय','अपरिग्रह'और 'ब्रह्मचर्य'।
अब यदि साम्यवादी (कम्युनिस्ट)'धर्म' को सही संदर्भ मेन लेते तो 'ब्रह्मचर्य'
का पालन भी करते और 'तेजपाल' सरीखे कांड घटित ही नहीं हुये होते।
24-11-2013
https://www.facebook.com/permalink.php?story_fbid=194549860730837&id=100005274734300
Tarun
Tejpal ne jo kiya nindniy hai. Aaj ke Akhbar me Tejpal ke bare me bdi
khbr hai aur Modi ke Sex cd\Jasoosi Pr IAS Prdip Srma ka Supreme court
me halafname ke bare me choti khba hai. bhut se Akhbaro me Modi ki ye
Khbr nhi . Corporate Media kb tk Modi ke jurmo ko chhupata rhega.
25-11-2013
https://www.facebook.com/yashwant.bhadas4media/posts/498204923610202
Yashwant Singh · 7,830 like this
12 hours ago near New Delhi ·
पेड
न्यूज का सबसे बड़ा माफिया टाइम्स ग्रुप का एक चैनल है टाइम्स नाऊ.. यहां
अर्नव गोस्वामी नामक एक जीव रोज अदालत लगाता है और किसी तानाशाह की तरह
फैसले सुनाता है, बुलवाता है... आजकल वह तरुण तेजपाल और तहलका पर बातें कर
रहा है... पत्रकारिता में पेज3 कल्चर और टाइम्स ग्रुप के मालिकों जैन
बंधुओं के बारे में कभी विमर्श कर लो, ताकि लोगों को पता चले कि पेड न्यूज
किसने इस देश में शुरू कराया और किसने सैकड़ों हजारों कंपनियों का शेयर
लेकर पूरे शेयर मार्केट पर कब्जा करने की रणनीति बनाई .. साथ ही शेयर
मार्केट के बारे में निगेटिव खबरें छापने से पूरे ग्रुप को मना करा दिया...
बिल्डरों, चिटफंडियों, दलालों, पावर ब्रोकरों, नेताओं, अफसरों की ब्लैकमनी
का सबसे ज्यादा व सबसे बड़ा हिस्सा हड़पने वाले अपने मालिकों जैन बंधुओं
पर कब बैठेगी आपकी अदालत?
बाकी, तरुण तेजपाल जैसी साहसी पत्रकारिता तो
आप कर नहीं पाएंगे क्योंकि आपके मालिकों की पूंछ ढेर सारे नेताओं, सरकारों
से दबी है.. सो आप आंय बांय सांय करते रहिए.. पर जिन्हें पत्रकारिता की
गहराई से समझ है वो जानते हैं कि देश का सबसे बड़ा पत्रकार अगर कोई है तो
वो तरुण तेजपाल हैं और सबसे तेवरदार व सरोकारी ब्रांड कोई है तो वो तहलका
है... अब तरुण तेजपाल अपनी एक करनी से बुरी तरह फंसे हैं और जेल जाने की ओर
हैं तो ढेर सारे कुत्ते उनके पीछे भों भों करने निकल पड़े हैं, जो लाजिमी
भी है...
https://www.facebook.com/yashwant.bhadas4media/posts/498226750274686
जेनुइन
बात का सपोर्ट करना चाहिए... अपराधी तरुण तेजपाल हैं, 'तहलका' नहीं..
इसलिए उन न्यूज चैनलों की निंदा करिए जो अपने हजारों काले कारनामें छुपाकर
'तहलका' को नष्ट करने के लिए दुष्प्रचार करने पर तुल गए हैं.. बाकी डिटेल
इस लिंक में है...
हे
न्यूज चैनल वालों, सुनो, आइना देखो... तरुण तेजपाल से बड़ा कोई पत्रकार
नहीं, 'तहलका' से तेवरदार कोई मीडिया ब्रांड नहीं... पूरी खबर यहां
पढ़ें....
http://www.bhadas4media.com/print/16060-2013-11-24-20-58-41.html
--
(तरुण ने जो अपराध किया है,
उसके लिए सजा उन्हें कानून देगा, जिसकी प्रक्रिया चल भी रही है, लेकिन यह
आज भी सच है कि तरुण तेजपाल पिछले कई दशक से निर्विवाद रूप से सबसे बड़े,
सबसे साहसी, सबसे सरोकारी और सबसे विजनरी पत्रकार हैं... तरुण के अपराध के
बहाने 'तहलका' को बर्बाद करने के करप्ट न्यूज चैनलों की मुहिम-अभियान-कोशिश
को हम शर्मनाक निंदनीय करार देते है...)
========================
"MAN HAS CREATED THE GOD FOR HIS MENTAL SECURITY ONLY"---
KARL MARX
अर्थात कार्ल मार्क्स का कथन है कि,"मनुष्य ने अपनी दिमागी सुरक्षा के लिए भगवान की उत्पत्ति की है"।
महर्षि कार्ल मार्क्स ने किस संदर्भ और परिस्थितियों मे यह लिखा इसे
समझे बगैर एयर कंडीशंड कमरों मे बैठ कर उदभट्ट विद्वान 'धर्म' की चर्चा को
भटकाने वाला तथ्य कहते हैं और उनमे से कुछ यह भी घोषणा करते हैं
कि,;हिन्दू','इस्लाम','ईसाई'आदि ही धर्म हैं एवं धर्म की अन्य कोई परिभाषा
मान्य नहीं है। इसका सीधा-सादा अर्थ है कि 'तर्क'और ज्ञान के आभाव मे ये
विद्वान ढोंग-पाखंड-आडंबर जिसे साम्राज्यवादी धर्म बताते हैं उसी को धर्म
स्वीकारते हैं और तभी धर्म पर प्रहार करके जनता से कटे रहते हैं।............................................
पूंजीवाद के समर्थक नेहरू जी ने बड़ी ही चालाकी से रूस से मित्रता करके
भारतीय कम्युनिस्टों को प्रभाव हींन कर दिया। आज कम्युनिस्ट आंदोलन कई
पार्टियों मे विभक्त होकर पूरी तरह बिखर गया है। कांग्रेस जहां कमजोर पड़ती
है वहाँ RSS समर्थित भाजपा को आगे बढ़ा देती है। दोनों साम्राज्यवादी
अमेरिका समर्थक पार्टियां हैं। ऐसे मे साम्यवाद के मजबूत होकर उभरने की
आवश्यकता है परंतु सबसे बड़ी बाधा वे 'साम्यवादी विद्वान और नेता' खड़ी करते
हैं जो आज भी अनावश्यक और निराधार ज़िद्द पर अड़े हुये हैं कि 'मार्क्स' ने
धर्म को अफीम कह कर विरोध किया है अतः साम्यवाद धर्म विरोधी है।
'एकला चलो रे ' की नीति पर चलते
हुये इस ब्लाग के माध्यम से मैं सतत 'धर्म' की वास्तविक व्याख्या बताने का
प्रयास करता रहता हूँ जो वस्तुतः 'नक्कारखाने मे तूती की आवाज़' की तरह है।
फिर भी एक बार और-
'धर्म'=जो शरीर को धरण करने के लिए आवश्यक है जैसे-'सत्य','अहिंसा','अस्तेय','अपरिग्रह'और 'ब्रह्मचर्य'।
(क्या मार्क्स ने इन सद्गुणों को अफीम बताया है?जी नहीं मार्क्स ने उस
समय यूरोप मे प्रचलित 'ईसाई पाखंडवाद'को अफीम कह कर उसका विरोध किया था।
पाखंडवाद चाहे ईसाइयत का हो,इस्लाम का हो या तथाकथित हिन्दुत्व का उन सब का
प्रबल विरोध करना ही चाहिए परंतु 'विकल्प' भी तो देते चलिये। )
'भगवान'=भ (भूमि)+ग (गगन-आकाश)+व (वायु-हवा)+I(अनल-अग्नि)+न (नीर-जल) का समन्वय।
'खुदा'=चूंकि ये पाँच तत्व खुद ही बने हैं इन्हे किसी ने बनाया नहीं है इसलिए इन्हे खुदा भी कहते हैं।
GOD=G(जेनेरेट)+O(आपरेट)+D(देसट्राय)। 'भगवान' या 'खुदा' सम्पूर्ण
सृष्टि का सृजन,पालन और 'संहार' भी करते हैं इसलिए इन्हें GOD भी कहा जाता
है।
क्या मार्क्स ने प्रकृति के इन पाँच तत्वों को अफीम कहा था?'साम्यवाद' को संकुचित करने वाले वीर-विद्वान क्या जवाब देंगे?
देवता=जो देता है और लेता नहीं है जैसे-वृक्ष ,नदी,समुद्र,वायु,अग्नि,आकाश,ग्रह-नक्षत्र आदि न कि कोई व्यक्ति विशेष। क्या
मार्क्स ने प्रकृति प्रदत्त इन उपादानों का कहीं भी विरोध किया
है?'साम्यवाद' के नाम पर साम्यवाद का अवमूल्यन करने वाले दिग्गज विद्वान
क्या जवाब देंगे?
जनता को सही राह दिखाना किस प्रकार 'भटकाव' है?जो
भटकाव करते हैं उनको तो धर्म कह कर ये विद्वान सिर पर चढ़ाते हैं और उसी
प्रकार मार्क्स को बदनाम करने की कोशिश करते हैं जिस प्रकार
साम्राज्यवादियों के पिट्ठू विद्वान राम को बदनाम करने का साहित्य सृजन
करते हैं। राम ने नौ लाख वर्ष पूर्व साम्राज्यवादी रावण को परास्त किया
और उसका साम्राज्य ध्वस्त किया था। लेकिन साम्यवाद के मसीहा कहलाने वाले ये
विद्वान राम-रावण युद्ध को कपोल कल्पना कह कर राम को साम्राज्यवादी RSS का
खिलौना बना देते हैं। साम्राज्यवादियों ने दो धाराएँ फैला कर वास्तविकता
को ढकने का स्वांग रचा है। पहले कहा गया कि वेद गड़रियों के गीत हैं और खुद
'मेक्समूलर' के माध्यम से यहाँ से मूल पांडुलिपियाँ ले गए। अंनुसन्धान किए
और वेदों का भरपूर लाभ उठाया। दूसरे RSS,मूल निवासी,आदिवासी,आदि तमाम
संगठनों के माध्यम से वेद और आर्यों के विरुद्ध दुष्प्रचार करवाया । कोई
हिटलर की तर्ज पर हिन्दुत्व को नस्लवादी आर्य बताता है तो कोई आर्यों को
यहाँ के मूल निवासियों का शोषक आक्रांता। दुर्भाग्य यह है कि साम्यवादी
विद्वान इनमे से ही किसी न किसी बात को सही मानते हैं और अपना दिमाग लगा कर
कुछ सोचना व समझना ही नहीं चाहते हैं। यदि कोई ऐसा प्रयास करता है तो तत्काल उसे प्रतिगामी घोषित कर देते हैं जबकि खुद
कार्ल मार्क्स ने 'साम्यवाद' को देश-काल-परिस्थितियों के अनुसार लागू करने
की बात कही थी। भारत मे कम्युनिस्ट पार्टी की स्थापना होने पर स्टालिन ने
भी इसके संस्थापकों से ऐसा ही कहा था। किन्तु इन लोगों ने न तो मार्क्स के सिद्धांतों का पालन किया न ही स्टालिन के सुझाव माने और रूसी पैटर्न की नकल कर डाली।
भारतीय वांगमय से मेल न खाने के कारण यहाँ की जनता के बीच
साम्राज्यवादियों के सहयोग से यह प्रचारित किया गया कि साम्यवाद विदेशी
विचार-धारा है और देश के अनुकूल नहीं है। डॉ राम मनोहर लोहिया और लाल
बहादुर शास्त्री सरीखे नेताओं ने इसी आधार पर साम्यवाद को अत्यधिक क्षति
पहुंचाई। स्टालिन ने हिटलर से समझौता कर लिया तो ठीक था लेकिन नेताजी
सुभाष बोस ने हिटलर का सहयोग लेकर जापान मे पनाह ली तो उनको 'तोजो का
कुत्ता' कह कर इन साम्यवादी विद्वानों ने संभोधित किया और अपेक्षा करते हैं
कि जनता उनको सहयोग दे । हालांकि अब यह स्वीकार कर लिया गया है कि नेताजी
का विरोध करना तब गलत था।...............
'रावण वध एक पूर्व निर्धारित योजना' के
माध्यम से मैंने बताने का प्रयास किया है कि किस प्रकार राम ने रावण के
'साम्राज्यवाद' को नष्ट किया था। यदि आज भी साम्यवाद को कामयाब करना है तो
राम की नीतियों को अपनाना पड़ेगा ,राम की आलोचना करके या अस्तित्व को नकार
के कामयाब न अभी तक हुये हैं न ही आगे भी हो सकेंगे। योगी राज श्री कृष्ण
ने तो सर्वाधिकार का बचपन से ही विरोध किया था गावों की संपत्ति का शहरी
उपभोग समाप्त करने के लिए उन्होने 'मटका फोड़' आंदोलन चलाया
था और गावों का मक्खन शहर आने से रोका था। गो-संवर्द्धन पर अनुसंधान
करवाया और सफलता प्राप्त की लेकिन ढ़ोंगी गोवर्धन-परिक्रमा के नाम पर इस
उपलब्धि पर पलीता लगाते हैं क्योंकि उसी मे साम्राज्यवादियों का हित छिपा
हुआ है। किन्तु साम्यवादी क्यों नही 'सत्य' को स्वीकार करते हैं? क्यों
साम्यवादी विद्वान ढोंगियों के कथन पर ध्यान देते हैं और वास्तविकता से
आँखें मूँद लेते हैं। .............................
अभी तक सभी साम्यवादी विद्वानों ने साम्राज्यवादियों के षड्यंत्र मे फंस
कर 'नकारात्मक' सोच को सच माना है। किन्तु अब आवश्यकता है कि इस सोच को
सकारात्मक बना कर 'सच' को स्वीकार करें और सफलता हासिल करें। अन्यथा पूर्व
की भांति 'साम्राज्यवाद को ही मजबूत' करते रहेंगे। मार्क्स ने जिस GOD का
विरोध किया वह पाखंडियों की सोच वाला था वास्तविक नहीं। हमे
जनता को बताना चाहिए वास्तविक GOD,खुदा या भगवान प्रकृति के पाँच तव हैं और
कुछ नहीं। जनता को धर्म का मर्म बताना पड़ेगा तब ही वह ढोंग-पाखंड-आडंबर से
दूर हो पाएगी। कृपया साम्यवाद का चोला ओढ़ कर 'मार्क्स' को बदनाम करना और
इस प्रकार 'साम्राज्यवाद को' मजबूत करना बंद करें।
मंगलवार, 3 जुलाई 2012 को 'क्रांतिस्वर'पर पूर्व प्रकाशित है जिस पर विवेकानंद त्रिपाठी जी की यह टिप्पणी भी प्राप्त हुई थी:
- koi saamyavaadee aapke saath chaahe ho yaa na ho, aap bahut bada kaam kar rahe hain.
thanks
vivekanand tripathi
-
3 जुलाई 2012 5:05 pm
बाकी, तरुण तेजपाल जैसी साहसी पत्रकारिता तो आप कर नहीं पाएंगे क्योंकि आपके मालिकों की पूंछ ढेर सारे नेताओं, सरकारों से दबी है.. सो आप आंय बांय सांय करते रहिए.. पर जिन्हें पत्रकारिता की गहराई से समझ है वो जानते हैं कि देश का सबसे बड़ा पत्रकार अगर कोई है तो वो तरुण तेजपाल हैं और सबसे तेवरदार व सरोकारी ब्रांड कोई है तो वो तहलका है... अब तरुण तेजपाल अपनी एक करनी से बुरी तरह फंसे हैं और जेल जाने की ओर हैं तो ढेर सारे कुत्ते उनके पीछे भों भों करने निकल पड़े हैं, जो लाजिमी भी है...
जेनुइन
बात का सपोर्ट करना चाहिए... अपराधी तरुण तेजपाल हैं, 'तहलका' नहीं..
इसलिए उन न्यूज चैनलों की निंदा करिए जो अपने हजारों काले कारनामें छुपाकर
'तहलका' को नष्ट करने के लिए दुष्प्रचार करने पर तुल गए हैं.. बाकी डिटेल
इस लिंक में है...
हे
न्यूज चैनल वालों, सुनो, आइना देखो... तरुण तेजपाल से बड़ा कोई पत्रकार
नहीं, 'तहलका' से तेवरदार कोई मीडिया ब्रांड नहीं... पूरी खबर यहां
पढ़ें....
http://www.bhadas4media.com/print/16060-2013-11-24-20-58-41.html
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(तरुण ने जो अपराध किया है, उसके लिए सजा उन्हें कानून देगा, जिसकी प्रक्रिया चल भी रही है, लेकिन यह आज भी सच है कि तरुण तेजपाल पिछले कई दशक से निर्विवाद रूप से सबसे बड़े, सबसे साहसी, सबसे सरोकारी और सबसे विजनरी पत्रकार हैं... तरुण के अपराध के बहाने 'तहलका' को बर्बाद करने के करप्ट न्यूज चैनलों की मुहिम-अभियान-कोशिश को हम शर्मनाक निंदनीय करार देते है...)
http://www.bhadas4media.com/print/16060-2013-11-24-20-58-41.html
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(तरुण ने जो अपराध किया है, उसके लिए सजा उन्हें कानून देगा, जिसकी प्रक्रिया चल भी रही है, लेकिन यह आज भी सच है कि तरुण तेजपाल पिछले कई दशक से निर्विवाद रूप से सबसे बड़े, सबसे साहसी, सबसे सरोकारी और सबसे विजनरी पत्रकार हैं... तरुण के अपराध के बहाने 'तहलका' को बर्बाद करने के करप्ट न्यूज चैनलों की मुहिम-अभियान-कोशिश को हम शर्मनाक निंदनीय करार देते है...)
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"MAN HAS CREATED THE GOD FOR HIS MENTAL SECURITY ONLY"---
KARL MARX
अर्थात कार्ल मार्क्स का कथन है कि,"मनुष्य ने अपनी दिमागी सुरक्षा के लिए भगवान की उत्पत्ति की है"।
महर्षि कार्ल मार्क्स ने किस संदर्भ और परिस्थितियों मे यह लिखा इसे समझे बगैर एयर कंडीशंड कमरों मे बैठ कर उदभट्ट विद्वान 'धर्म' की चर्चा को भटकाने वाला तथ्य कहते हैं और उनमे से कुछ यह भी घोषणा करते हैं कि,;हिन्दू','इस्लाम','ईसाई'आदि ही धर्म हैं एवं धर्म की अन्य कोई परिभाषा मान्य नहीं है। इसका सीधा-सादा अर्थ है कि 'तर्क'और ज्ञान के आभाव मे ये विद्वान ढोंग-पाखंड-आडंबर जिसे साम्राज्यवादी धर्म बताते हैं उसी को धर्म स्वीकारते हैं और तभी धर्म पर प्रहार करके जनता से कटे रहते हैं।............................................
पूंजीवाद के समर्थक नेहरू जी ने बड़ी ही चालाकी से रूस से मित्रता करके भारतीय कम्युनिस्टों को प्रभाव हींन कर दिया। आज कम्युनिस्ट आंदोलन कई पार्टियों मे विभक्त होकर पूरी तरह बिखर गया है। कांग्रेस जहां कमजोर पड़ती है वहाँ RSS समर्थित भाजपा को आगे बढ़ा देती है। दोनों साम्राज्यवादी अमेरिका समर्थक पार्टियां हैं। ऐसे मे साम्यवाद के मजबूत होकर उभरने की आवश्यकता है परंतु सबसे बड़ी बाधा वे 'साम्यवादी विद्वान और नेता' खड़ी करते हैं जो आज भी अनावश्यक और निराधार ज़िद्द पर अड़े हुये हैं कि 'मार्क्स' ने धर्म को अफीम कह कर विरोध किया है अतः साम्यवाद धर्म विरोधी है।
'एकला चलो रे ' की नीति पर चलते हुये इस ब्लाग के माध्यम से मैं सतत 'धर्म' की वास्तविक व्याख्या बताने का प्रयास करता रहता हूँ जो वस्तुतः 'नक्कारखाने मे तूती की आवाज़' की तरह है। फिर भी एक बार और-
'धर्म'=जो शरीर को धरण करने के लिए आवश्यक है जैसे-'सत्य','अहिंसा','अस्तेय','अपरिग्रह'और 'ब्रह्मचर्य'।
(क्या मार्क्स ने इन सद्गुणों को अफीम बताया है?जी नहीं मार्क्स ने उस समय यूरोप मे प्रचलित 'ईसाई पाखंडवाद'को अफीम कह कर उसका विरोध किया था। पाखंडवाद चाहे ईसाइयत का हो,इस्लाम का हो या तथाकथित हिन्दुत्व का उन सब का प्रबल विरोध करना ही चाहिए परंतु 'विकल्प' भी तो देते चलिये। )
'भगवान'=भ (भूमि)+ग (गगन-आकाश)+व (वायु-हवा)+I(अनल-अग्नि)+न (नीर-जल) का समन्वय।
'खुदा'=चूंकि ये पाँच तत्व खुद ही बने हैं इन्हे किसी ने बनाया नहीं है इसलिए इन्हे खुदा भी कहते हैं।
GOD=G(जेनेरेट)+O(आपरेट)+D(देसट्राय)। 'भगवान' या 'खुदा' सम्पूर्ण सृष्टि का सृजन,पालन और 'संहार' भी करते हैं इसलिए इन्हें GOD भी कहा जाता है।
क्या मार्क्स ने प्रकृति के इन पाँच तत्वों को अफीम कहा था?'साम्यवाद' को संकुचित करने वाले वीर-विद्वान क्या जवाब देंगे?
देवता=जो देता है और लेता नहीं है जैसे-वृक्ष ,नदी,समुद्र,वायु,अग्नि,आकाश,ग्रह-नक्षत्र आदि न कि कोई व्यक्ति विशेष। क्या मार्क्स ने प्रकृति प्रदत्त इन उपादानों का कहीं भी विरोध किया है?'साम्यवाद' के नाम पर साम्यवाद का अवमूल्यन करने वाले दिग्गज विद्वान क्या जवाब देंगे?
जनता को सही राह दिखाना किस प्रकार 'भटकाव' है?जो भटकाव करते हैं उनको तो धर्म कह कर ये विद्वान सिर पर चढ़ाते हैं और उसी प्रकार मार्क्स को बदनाम करने की कोशिश करते हैं जिस प्रकार साम्राज्यवादियों के पिट्ठू विद्वान राम को बदनाम करने का साहित्य सृजन करते हैं। राम ने नौ लाख वर्ष पूर्व साम्राज्यवादी रावण को परास्त किया और उसका साम्राज्य ध्वस्त किया था। लेकिन साम्यवाद के मसीहा कहलाने वाले ये विद्वान राम-रावण युद्ध को कपोल कल्पना कह कर राम को साम्राज्यवादी RSS का खिलौना बना देते हैं। साम्राज्यवादियों ने दो धाराएँ फैला कर वास्तविकता को ढकने का स्वांग रचा है। पहले कहा गया कि वेद गड़रियों के गीत हैं और खुद 'मेक्समूलर' के माध्यम से यहाँ से मूल पांडुलिपियाँ ले गए। अंनुसन्धान किए और वेदों का भरपूर लाभ उठाया। दूसरे RSS,मूल निवासी,आदिवासी,आदि तमाम संगठनों के माध्यम से वेद और आर्यों के विरुद्ध दुष्प्रचार करवाया । कोई हिटलर की तर्ज पर हिन्दुत्व को नस्लवादी आर्य बताता है तो कोई आर्यों को यहाँ के मूल निवासियों का शोषक आक्रांता। दुर्भाग्य यह है कि साम्यवादी विद्वान इनमे से ही किसी न किसी बात को सही मानते हैं और अपना दिमाग लगा कर कुछ सोचना व समझना ही नहीं चाहते हैं। यदि कोई ऐसा प्रयास करता है तो तत्काल उसे प्रतिगामी घोषित कर देते हैं जबकि खुद कार्ल मार्क्स ने 'साम्यवाद' को देश-काल-परिस्थितियों के अनुसार लागू करने की बात कही थी। भारत मे कम्युनिस्ट पार्टी की स्थापना होने पर स्टालिन ने भी इसके संस्थापकों से ऐसा ही कहा था। किन्तु इन लोगों ने न तो मार्क्स के सिद्धांतों का पालन किया न ही स्टालिन के सुझाव माने और रूसी पैटर्न की नकल कर डाली। भारतीय वांगमय से मेल न खाने के कारण यहाँ की जनता के बीच साम्राज्यवादियों के सहयोग से यह प्रचारित किया गया कि साम्यवाद विदेशी विचार-धारा है और देश के अनुकूल नहीं है। डॉ राम मनोहर लोहिया और लाल बहादुर शास्त्री सरीखे नेताओं ने इसी आधार पर साम्यवाद को अत्यधिक क्षति पहुंचाई। स्टालिन ने हिटलर से समझौता कर लिया तो ठीक था लेकिन नेताजी सुभाष बोस ने हिटलर का सहयोग लेकर जापान मे पनाह ली तो उनको 'तोजो का कुत्ता' कह कर इन साम्यवादी विद्वानों ने संभोधित किया और अपेक्षा करते हैं कि जनता उनको सहयोग दे । हालांकि अब यह स्वीकार कर लिया गया है कि नेताजी का विरोध करना तब गलत था।...............
'रावण वध एक पूर्व निर्धारित योजना' के माध्यम से मैंने बताने का प्रयास किया है कि किस प्रकार राम ने रावण के 'साम्राज्यवाद' को नष्ट किया था। यदि आज भी साम्यवाद को कामयाब करना है तो राम की नीतियों को अपनाना पड़ेगा ,राम की आलोचना करके या अस्तित्व को नकार के कामयाब न अभी तक हुये हैं न ही आगे भी हो सकेंगे। योगी राज श्री कृष्ण ने तो सर्वाधिकार का बचपन से ही विरोध किया था गावों की संपत्ति का शहरी उपभोग समाप्त करने के लिए उन्होने 'मटका फोड़' आंदोलन चलाया था और गावों का मक्खन शहर आने से रोका था। गो-संवर्द्धन पर अनुसंधान करवाया और सफलता प्राप्त की लेकिन ढ़ोंगी गोवर्धन-परिक्रमा के नाम पर इस उपलब्धि पर पलीता लगाते हैं क्योंकि उसी मे साम्राज्यवादियों का हित छिपा हुआ है। किन्तु साम्यवादी क्यों नही 'सत्य' को स्वीकार करते हैं? क्यों साम्यवादी विद्वान ढोंगियों के कथन पर ध्यान देते हैं और वास्तविकता से आँखें मूँद लेते हैं। .............................
अभी तक सभी साम्यवादी विद्वानों ने साम्राज्यवादियों के षड्यंत्र मे फंस कर 'नकारात्मक' सोच को सच माना है। किन्तु अब आवश्यकता है कि इस सोच को सकारात्मक बना कर 'सच' को स्वीकार करें और सफलता हासिल करें। अन्यथा पूर्व की भांति 'साम्राज्यवाद को ही मजबूत' करते रहेंगे। मार्क्स ने जिस GOD का विरोध किया वह पाखंडियों की सोच वाला था वास्तविक नहीं। हमे जनता को बताना चाहिए वास्तविक GOD,खुदा या भगवान प्रकृति के पाँच तव हैं और कुछ नहीं। जनता को धर्म का मर्म बताना पड़ेगा तब ही वह ढोंग-पाखंड-आडंबर से दूर हो पाएगी। कृपया साम्यवाद का चोला ओढ़ कर 'मार्क्स' को बदनाम करना और इस प्रकार 'साम्राज्यवाद को' मजबूत करना बंद करें।
मंगलवार, 3 जुलाई 2012 को 'क्रांतिस्वर'पर पूर्व प्रकाशित है जिस पर विवेकानंद त्रिपाठी जी की यह टिप्पणी भी प्राप्त हुई थी:
- koi saamyavaadee aapke saath chaahe ho yaa na ho, aap bahut bada kaam kar rahe hain.
thanks
vivekanand tripathi
- 3 जुलाई 2012 5:05 pm
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