Thursday, 28 November 2013

कम्युनिस्ट क्या थे और क्या हो गए?---प्रथक बटोही/आनंद प्रकाश तिवारी/सत्य प्रकाश गुप्ता



कम्युनिस्ट के सवर्ण बनाम बसपा के बहुजन

सरजू पाण्डे, झारखंडी राय , जयबहादुर सिंह तीनो क्रमश ब्राह्मण, भूमिहार व् राजपूत थे. तीनो ही सवर्ण ज़मीनदारों के लड़के थे पर यह तीनो ही आंदोलनरत होकर मजदूर-किसानो के बहुत बड़े नेता बने. तीनो ही कम्युनिस्ट पार्टी के नेता थे व् लगातार चुने जाने वाले सांसद / विधायक थे. तीनो ने जब देह त्यागे तब वे फक्कड अवस्था में थे.

जब कम्युनिस्ट आन्दोलन के वर्ग संघर्ष को बहुजन समाज पार्टी की आईडेंटटी राजनीती की लहर ने उत्तर प्रदेश में लील लिया तो बहुतेरे बहुजन विद्वानों, दिल्ली के एक सम्पादक आदि ने कम्युनिस्ट पार्टी में सवर्ण नेतृत्व के प्रभाव की वजह से उसे बारम्बार शोषक के रूप में बदनाम किया. उसी विद्वत जमात को दो बातें बताना चाहता हूँ

पहली की जब यह तीनो पूर्वी यूपी में कम्युनिस्ट आन्दोलन के तहत किसान मजदूर एकत्रित कर रहे थे तब उसी समय पश्चिमी उत्तर प्रदेश में दलित राजनीति करने वाली रिपब्लिकन पार्टी भी सक्रिय थे मगर बाद में वो खत्म हो गये जिसकी वजह मौजूदा बहुजन समर्थक दे तो बेहतर होगा.

दुसरा बहुजन आन्दोलन कभी भी इतना बड़ा किसान व् मजदूर नेतृत्व नही कर पायी, वह यूपी की महज 22 प्रतिशत दलित मतो को कभी मुस्लिम कभी ब्राह्मण कभी ओबीसी से जोड़ सिर्फ सत्ता प्राप्त कर पाने में कामयब जरूर हुई पर कोई मूलभूत समाजिक या आर्थिक सुधार उसने किये हो ऐसा लगाता नही.

अंत में जो लोग कम्युनिस्ट पार्टी में सवर्ण नेतृत्व को बुरा भला कहते है वे इनके आचरण को भी देखें वे कभी भी मायवती सरीखे धनकुबेर नही बने

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 सहमत...बसपा  और सपा ने उत्तर प्रदेश में जाति का बड़ा आंदोलन और सम्मेलन ज़रूर कर लिया हो लेकिन इन दोनो पार्टियों ने आज तक ग़रीब मज़दूर-किसानो के लिए संघर्ष नही किया है..अलबत्ता जाति  के नाम पर कम्युनिस्टों के आंदोलन को ज़रूर कमज़ोर किया है...इसीलिए सी पी आई या किसी अन्य कम्यूनिस्ट पार्टी में सवर्ण जाति  का लीडर नहीं होता है...वो विचार से किसी जाति  के नहीं होते हैं वो संपूर्ण समाज को ले कर चलता है..
 मेरा सवाल उन लोगो से है जो कम्यूनिस्ट पार्टी के फॉर्वर्ड लीडरशिप पर आरोपित करते हैं.. तो क्या इंद्रजीत गुप्ता,भूपेश गुप्ता, ज्यति  बसु, विश्वनाथ  मुखर्जी,राहुल  सांस्कृतियायन , नंबूद्रिपाद, अजय मुखर्जी, नृपेंन्द्र चक्रवर्ती, सरयू पांडे, चंद्रशेखर सिंह , सुनील मुखर्जी, कॉम्रॅड चंदेश्वरी सिंह  आदि को भाजपा  या संघ परिवार में होना चाहिए ? अरे खुश होना चाहिए कि ये लोग रिच फ्यूडल फॅमिली की मानसिकता  से अलग होकर वर्ग संघर्ष की बात करते थे.. किसान-मज़दूर आंदोलन को लीड करते थे...और सच में अपने अंतिम समय में इनके पास दौलत नहीं थी...कुछ भी नहीं...हमारे एंम पी सूर्यनारायण  सिंह  होते थे..तीन बार बने लेकिन घर आज भी खपरैल का ही है..वो मर गये.. बेटा अजय नौकरी करता है, परिवार देखता है और ट्रेड यूनियन में कम करता है...उनका ये बेहूदा सवाल है
 sahmat...BSP aur SP Uttar Pradesh mein jati ka bada aandolan aur sammelan zarur kar liya ho lekin in dono partiyon ne aaj tak garib mazdoor-kisaano ke liye sangharsh nahi kiya hai..albatta jaati ke naam par communiston ke aandolan ko zarur kamzor kiya hai...isiliye CPI ya kisi any communist party mein savarn jaati ka leader nahin hota hai...wo vichar se kisi jati ke nahin hote hain wo sampurn samaaj ko le kar chalta hai..


Satyaprakash Gupta 
 Mera sawal un logo se hai jo communist party ke forward leadership par aaropit karte hain.. to kya Indrajeet Gupta,Bhupesh Gupta, Jyto basu, vISHNATH MUKHERJEE,RAHU SANKRTYAAN, Namboodripad, ajay mukherji, nripen chakrvarti, saryu pandey, chandrashekhar singh, Sunil Mukherjee, comrade Chandeshwari Singh aadi ko BJP ya sangh parivaar mein hona chahiye ? Are khush hona chahiye ki ye log rich feudal family ki maan sikta se alag hokar warg sanghrsh ki baat karte the.. kisan-mazdoor aandolan ko lead karte the...aur sach mein apne antim samay mein inke pass daulat nahin thi...kuchh bhi nahin...Hamaare MP Suryanaryan Singh hote the..teen baar bane lekin ghar aaj bhi khaprail ka hi hai..wo mar gaye.. beta Ajay naukri karta hai, parivar dekhta hai aur trade union mein kam karta hai...unka ye behuda sawaal hai
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 आज बामपंथी  आंदोलन बिखर गया है । उसके लिए ज़िम्मेदार शीर्ष नेतृत्व  ही है । कुछ महत्वाकांक्षी नेताओ की  दुमछल्ला बनने की प्रवृत्ति ने आज कम्युनिस्टों  के अस्तित्व  पर ही प्रश्न चिन्ह  लगा दिया है । शीर्ष नेतृत्व द्वारा थोपी गयी आत्मघाती नीतियो ने कम्युनिस्टों  की जनता से जड़ें  ही उखाड़ दी हैं ।   वह  आज भी बदस्तूर ज़ारी है। नीचे  से ऊपर तक तालमेल का नितांत अभाव है । साथी लड़ना चाहते है। शीर्ष नेतृव संमझौता कर सत्ता सुख चाहता है । मुंगेरीलाल सपनो मे खोए है, साथी  जूता - प्याज़ दोनो काटे जा रहे हैं । नेतृत्व अपनी सुविधा की राजनीति मे व्यस्त है ।
कॉम. सरज़ू पांडे की आदम कद मूर्ति गाज़ीपुर कचहरी मे लगी है। उसमे सबकी भागीदारी थी । आज वह  सभी  राजनीतीक कार्यकर्ताओ के प्रेरणास्रोत हैं। हम फक्र के साथ उन्हे अपना नेता कहते हैं।
फागू चौहान के विशेष प्रयास से मऊ मे कॉम झारखण्डे राय  और कॉम. जंग बहादुर सिंह  की आदमकद मूर्ति पिछले 7 सालो से अनावरण की प्रतीक्षा मे पड़ी हैं। क्रांतिकारियों की ऐसी उपेक्षा ?
आज  उ .प्र. सरकार जागी है। लेकिन सौदे के वशीभूत होकर । 30 नव. को अनावरण होना है। लेकिन अब तक किसी भी स्तर पर कोई राजनीतिक चर्चा या सहमति के बिंदु नही बने है।  विवादास्पद मुलायम सिंह  यादव अनावरण करने आ रहे हैं। ए बी  बर्धन और अतुल के साथ रहने की संभावना प्रबल है ।
इसके लिए  गोपनीयता की क्या आवश्यकता  पड़ गई  ?

आख़िर इससे क्या संदेश देना चाहते हैं ये लोग? बुज़ूर्गो की इज़्ज़त करना हमारे संस्कार मे है । लेकिन बुज़ूर्गीयत यदि छल और मक्कारी पर उतर आए तो क्या किया जाये  ?
आज मुलायम के हाथो कॉम.झारखण्डे राय  और कॉम.जंग बहादुर सिंह  का मूर्ति अनावरण न्याय पा सकेगा ??
बर्धन और अनजान  मूक दर्शक बनेगे, किसके प्रतिनिधि  बनकर ??

Aaj bampanthi aandolan bikhar gaya hai .uske liye jimmedar sheersh netreetwa hi hai .kuchh mahtwakanchhi netao l ka doomchhalla banane k prabritti ne aaj comunisto ke asteetwa par hi prashn Chung laga diya hai .sheersh netritw dwara thopi gayi aatmghati nitiyo ne comunisto ki zare hi ukhar di janta se .wah aaj bhi b dastoor zari hai.neche se upper tak talmel ka nitant abhaw hai .sathi larna chahte hai.sheersh netriw samzhauta kar satta sukh chahta hai .mungerilal sapno me khoye hai, shathi joota - pyaz dono Kate Ja rahe hain .netreetwa apni suvidha ki rajniti me vyast hai .
Com. Sarzoo Pande ki aadam kad murti ghazipur kachhari me lagi hai.usme subki bhagidari thi .aaj we sabi rajniteek karykartao ke prernasrot hain.hum fakra ke sath unhe apna neta kahte hain.
Fagu chauhan ke vishesh prayas se mau me com zharkhande Rai aur com. Jang Bahadur Singh ki aadamkad murti pechhale 7 salo se anawaran ki prateekchha me pari hai .krantikari metal ki aisi upekchha ?
An UP sarkar jagi hai.lekin saude ke bashibhoot hokar .30 Nov. Ko anavaran hona hai.lekin ab talk kisi bhi star par koyee rajnitik charcha ya sahmati ke bindu nahi bane hai. Bivadaspad Mulayam singh yadav anavaran Karane aa rahe hain. AB Bardhan aur Atul ke sath rahne ki sambhawna prabal hai .
Iske gopneeyta ki kya aawasykata par gayee ?
Aakhir isase kya sandesh Dena chahte hain ye log. Buzoorgo ki izzat karna hamare sanskar me hai .lekin buzoorgeeyat yadi chhal aur makkari par utar aaye to kya kiya jay ?
Aaj mulayam ke hatho com.Zharkhande Rai aur com.Jang Bahadur Singh ka murti anavran nyay pa sakega ??
Bardhan aur Anzan mook darshak banege, kiske prateenidhee bankar ??

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(प्रथक बटोही जी और सत्य प्रकाश गुप्ता जी के विवरण से सिद्ध होता है कि कम्युनिस्ट नेतृत्व 'त्याग और संपर्ण' की भावना से ओत -प्रोत हुआ करता था वहीं आनंद प्रकाश तिवारी जी ने वर्तमान नेतृत्व की कार्य प्रणाली को प्रश्नांकित किया है कि वह क्यों CPI को नष्ट करने की भावना वाले सपा नेतृत्व के आगे समर्पण की मुद्रा में है?
उ .प्र.में एक बार 1992 में भी एक सरकारी शिक्षक तिकड़म के जरिये प्रदेश कंट्रोल कमीशन में स्थान पा गया था उसने आगरा में प्रदेश सम्मेलन होने के बावजूद पार्टी को काफी क्षति पहुंचाई और अंततः उसे प्रदेश से भी चलता कर दिया गया और अब वह पार्टी में भी नहीं है। इसी प्रकार एक गवर्नमेंट अंडरटेकिंग बैंक  का कारिंदा एक लंबे समय से प्रदेश में पार्टी को कमजोर कर रहा है। वरिष्ठ नेताओं की खिल्ली उड़ाना उसका शगल है। किसी को डेंगू कहता है तो किसी को जमींदार,किसी को अनपढ़ घोषित करता है तो युवाओं में एक वरिष्ठ को पार्टी कार्यालय में पीटने का दावा भी करता है। 13 जूलाई 2013 की एक मीटिंग में उसके दुष्कृत्य का भुक्त-भोगी मैं खुद भी हूँ।
"इसके लिए  गोपनीयता की क्या आवश्यकता  पड़ गई  ?"
 आनंद प्रकाश जी का यह महत्वपूर्ण प्रश्न है। वैसे उत्तर तो उनको ही देना चाहिए जिनसे यह प्रश्न किया गया है। किन्तु जैसा देखा-समझा उसके अनुसार कुछ कयास तो लगाया ही जा सकता है। उ .प्र.विधानसभा चुनावों के दौरान बैंक कर्मी नेता महोदय ने अपने पड़ौसी/मित्र RSS से संबन्धित अग्रवाल साहब को बिल्ले/झंडे बनाने हेतु शत प्रतिशत एडवांस दे दिया था और उन्होने जो झंडे बना कर दिये उनमें हंसिया-बाली काले रंग में छ्पे थे। बिल्लों पर ऊपरी कागज पर तो हंसिया-बाली छ्पा था किन्तु वह बहुत जल्दी उतर जाता था जिसके नीचे मुलायम सिंह जी का चित्र अथवा कमल का फूल होता था। एक वरिष्ठ नेता कामरेड साहब ने अग्रवाल साहब को खूब फटकार तो लगाई किन्तु दंडित नहीं कर सकते थे क्योंकि बैंक कर्मी साहब पूरा भुगतान पहले ही कर चुके थे। हो सकता है उन कामरेड की पार्टी को क्षति पहुंचाने की प्रवृति के कारण राष्ट्रीय नेता गण 'गोपनीयता' अख़्तियार करते हों। 
जब तक ऐसे लोग पार्टी में प्रभावशाली रहेंगे कितनी भी सफल रैलियाँ कर ली जाएँ वे अपने निजी लाभ की खातिर पार्टी को उभरने नहीं देंगे। अतः आनंद प्रकाश जी को अपने चिंतन में इस दृष्टिकोण को भी शामिल करना पार्टी हित में होगा। ---विजय राजबली माथुर)

1 comment:

  1. comment in face book group-'CPI online Supporters {Bihar}
    Anand Prakash Tiwari :murti anavaran ke sthagit ho gaya .hum sub asahuz sthitee se buch gaye.

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