**************************************************************
आज बामपंथी आंदोलन बिखर गया है । उसके लिए ज़िम्मेदार शीर्ष नेतृत्व ही है । कुछ महत्वाकांक्षी नेताओ की दुमछल्ला बनने की प्रवृत्ति ने आज कम्युनिस्टों के अस्तित्व पर ही प्रश्न चिन्ह लगा दिया है । शीर्ष नेतृत्व द्वारा थोपी गयी आत्मघाती नीतियो ने कम्युनिस्टों की जनता से जड़ें ही उखाड़ दी हैं । वह आज भी बदस्तूर ज़ारी है। नीचे से ऊपर तक तालमेल का नितांत अभाव है । साथी लड़ना चाहते है। शीर्ष नेतृव संमझौता कर सत्ता सुख चाहता है । मुंगेरीलाल सपनो मे खोए है, साथी जूता - प्याज़ दोनो काटे जा रहे हैं । नेतृत्व अपनी सुविधा की राजनीति मे व्यस्त है ।
कॉम. सरज़ू पांडे की आदम कद मूर्ति गाज़ीपुर कचहरी मे लगी है। उसमे सबकी भागीदारी थी । आज वह सभी राजनीतीक कार्यकर्ताओ के प्रेरणास्रोत हैं। हम फक्र के साथ उन्हे अपना नेता कहते हैं।
फागू चौहान के विशेष प्रयास से मऊ मे कॉम झारखण्डे राय और कॉम. जंग बहादुर सिंह की आदमकद मूर्ति पिछले 7 सालो से अनावरण की प्रतीक्षा मे पड़ी हैं। क्रांतिकारियों की ऐसी उपेक्षा ?
आज उ .प्र. सरकार जागी है। लेकिन सौदे के वशीभूत होकर । 30 नव. को अनावरण होना है। लेकिन अब तक किसी भी स्तर पर कोई राजनीतिक चर्चा या सहमति के बिंदु नही बने है। विवादास्पद मुलायम सिंह यादव अनावरण करने आ रहे हैं। ए बी बर्धन और अतुल के साथ रहने की संभावना प्रबल है ।
इसके लिए गोपनीयता की क्या आवश्यकता पड़ गई ?
आख़िर इससे क्या संदेश देना चाहते हैं ये लोग? बुज़ूर्गो की इज़्ज़त करना हमारे संस्कार मे है । लेकिन बुज़ूर्गीयत यदि छल और मक्कारी पर उतर आए तो क्या किया जाये ?
आज मुलायम के हाथो कॉम.झारखण्डे राय और कॉम.जंग बहादुर सिंह का मूर्ति अनावरण न्याय पा सकेगा ??
बर्धन और अनजान मूक दर्शक बनेगे, किसके प्रतिनिधि बनकर ??
कॉम. सरज़ू पांडे की आदम कद मूर्ति गाज़ीपुर कचहरी मे लगी है। उसमे सबकी भागीदारी थी । आज वह सभी राजनीतीक कार्यकर्ताओ के प्रेरणास्रोत हैं। हम फक्र के साथ उन्हे अपना नेता कहते हैं।
फागू चौहान के विशेष प्रयास से मऊ मे कॉम झारखण्डे राय और कॉम. जंग बहादुर सिंह की आदमकद मूर्ति पिछले 7 सालो से अनावरण की प्रतीक्षा मे पड़ी हैं। क्रांतिकारियों की ऐसी उपेक्षा ?
आज उ .प्र. सरकार जागी है। लेकिन सौदे के वशीभूत होकर । 30 नव. को अनावरण होना है। लेकिन अब तक किसी भी स्तर पर कोई राजनीतिक चर्चा या सहमति के बिंदु नही बने है। विवादास्पद मुलायम सिंह यादव अनावरण करने आ रहे हैं। ए बी बर्धन और अतुल के साथ रहने की संभावना प्रबल है ।
इसके लिए गोपनीयता की क्या आवश्यकता पड़ गई ?
आख़िर इससे क्या संदेश देना चाहते हैं ये लोग? बुज़ूर्गो की इज़्ज़त करना हमारे संस्कार मे है । लेकिन बुज़ूर्गीयत यदि छल और मक्कारी पर उतर आए तो क्या किया जाये ?
आज मुलायम के हाथो कॉम.झारखण्डे राय और कॉम.जंग बहादुर सिंह का मूर्ति अनावरण न्याय पा सकेगा ??
बर्धन और अनजान मूक दर्शक बनेगे, किसके प्रतिनिधि बनकर ??
comment in face book group-'CPI online Supporters {Bihar}
ReplyDeleteAnand Prakash Tiwari :murti anavaran ke sthagit ho gaya .hum sub asahuz sthitee se buch gaye.