Tuesday, 29 October 2013

किसी ने भी ख्याल नहीं किया :मनमोहन सरकार ने देश की संप्रभुता को बेच दिया---विजय राजबली माथुर

"Dear Bharatgas Consumer, to avail LPG Subsidy in your bank account, kindly submit Your Aadhar to your Distributor and to  your Bank immediataly."
29-10-2013
05:08:39 AM
TD-BPCLMS

आज तड़के सुबह प्राप्त यह sms केंद्र सरकार की सुप्रीम कोर्ट को दी गई सूचना को झुठलाता है।10 अक्तूबर 2013 को 'द हिन्दू' में प्रकाशित समाचार के अनुसार पेट्रोलियम एवं प्रकृतिक गैस मंत्री वीरप्पा  मोइली ने पत्रकारों के समक्ष स्पष्ट किया था कि,:
“Aadhaar is only an identification card. We will not make it mandatory unless the Supreme Court gives clearance,” Mr. Moily told reporters here. 

वास्तविक स्थिति यह है :
The Ministry had unveiled the scheme in 97 districts and planned to extend it to almost 265 districts by January 1, under which all consumers in these districts had to get their bank accounts linked with their Aadhaar number to avail themselves of the subsidy. The Aadhaar platform, which provides a resident a 12-digit unique number after recording bio-metric information like fingerprints and iris, is being used to implement the cash transfer scheme.
But the Supreme Court ruled that Aadhaar could not be made mandatory for people to get government services and nobody should be deprived of any such facilities for want of the card. It also rejected the review petition filed by the government on this issue. 

टाटा डोकोमो की मार्फत 'भारत पेट्रोलियम कार्पोरेशन लिमिटेड मोबाईल सर्विसेज' द्वारा आज 29 अक्तूबर 2013 की तड़के सुबह 5 बज कर 8 मिनट 39 सेकेंड पर  भेजा गया sms  तो मंत्री जी की घोषणा और सर्वोच्च न्यायालय की व्यवस्था का खुला उल्लंघन एवं राष्ट्र की सार्व भौमिकता को बेचे जाने की पुष्टि करता है। 

इसी ब्लाग में 18 अक्तूबर एवं 21 अक्तूबर को निम्नलिखित विषयों पर  जनता को आगाह किया गया था  जिसकी सूचना सांसद कामरेड गुरुदास दासगुप्ता जी की फेसबुक वाल पर भी अन्य बड़े कामरेड्स के साथ-साथ दी गई थी। किन्तु अफसोस कि हमारे कामरेड्स नेतृत्व को भी मनमोहन सरकार के संकटमोचक मुलायम सिंह जी को उनके विकल्प मे पी एम बनवाने की तो पड़ी है किन्तु देश की सुरक्षा और सार्व भौमिकता के लिए खतरा बन चुके 'आधार कार्ड' योजना को सर्वोच्च न्यायालय की आपत्ति के बावजूद  रद्द करवाने की कोई तत्परता नहीं है।

The Aadhaar scheme is unconstitutional---Justice K.S. Puttaswamy

The Aadhaar scheme is unconstitutional as applicants are required to part with personal information on biometrics, iris and fingerprints, infringing their right to privacy, which is held part of the fundamental right to life under Article 21 of the Constitution, Justice K.S. Puttaswamy, retired judge of the Karnataka High Court, and other petitioners told the Supreme Court.
“There are no safeguards or penalties and no legislative backing for obtaining personal information, and the proposed law introduced by the government has been rejected by the Parliamentary Standing Committee on Finance. Provisions for collection and retention of biometric data have been held impermissible in the United Kingdom and France by their top courts.”

  http://www.kractivist.org/india-aadhaar-scheme-is-unconstitutional-justice-k-s-puttaswamy-uid/


Attack on India's sovereignty and democracy---S.G.Vombatkere

Spying-snooping-scrutiny
Edward Snowden’s expose caused international outrage for NSA infringing on individual privacy, and on friends and foes alike at governmental and public levels. USA’s NATO allies were vocal in their feigned outrage at the revelation that their cyberspace had been secretly invaded by NSA, even their embassies bugged, and data mining performed on their official and private citizens’ communications. True to this writer’s prediction that “there is unlikely to be even a squeak on this sovereignty issue” [Ref.3], India, far from even feigning outrage, has sought to play down USA’s presidentially-sanctioned spying, snooping and surveillance by terming it as “scrutiny” of India’s cyberspace. However, even “scrutiny”, the mildest of the terms [Note 2], is objectionable because it impinges on India’s sovereignty.................................................................................................................................................................................     

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Surveillance and security
Surveillance by USA on India’s leaders and private citizens is bad enough, but India is preparing for its own internal surveillance. Surveillance assumes that the subject surveilled is a suspected spy or a criminal [Note 2]. This assumption for general public surveillance in a democracy is unwarranted because the general public becomes “suspect”. Surveillance of criminal suspects (targetted surveillance) is standard police and intelligence practice and, in a democratic society, is done with appropriate established, well-defined checks and safeguards, so that the power of surveillance is not misused to gain advantage or blackmail or settle scores for political or partisan purposes. Even with checks and balances in place, targetted surveillance has led to innumerable cases of staged or false “encounters” resulting in extra-judicial killings based on questionable intelligence reports, mere suspicion or motivated political orders.

Monday, 28 October 2013

लखनऊ/पटना रैलियों का संदेश:अपनी लाश पर औरों को नहीं करने देंगे ऐश---आनंद प्रकाश तिवारी


 
JANAKROSH RALLY ,PATNA--नेतृत्व की माँ
कन्फ्यूज़्ड केंद्रीय नेतृत्व ने  आत्मसमर्पण की राजनीति करके सर्वनाश कर दिया सी पी आई  का । समय  आ गया है  नेतृत्व से भी विद्रोह करने  का। संगठन मे विकास और मज़बूती के लिए सहयोग के साथ ही दबाव भी बनाना होगा । कुछ लोग सी पी आई  का विकास नही चाहते, उन्हे चिन्हित कर बेनकाब करना  होगा ।  सभी वाम ज़नवादी लोगो को एकजुट  करना समय की  माँग है।

ज़नता हमारी  माँ है इसकी गोंद मे हम सुरक्षित  रहते हैं। दूर होने पर न बच्चा सुरक्षित रहताहै न ही माँ । 
भारतीय लोकतंत्र  के लिए इसके  अंदर  सी पी आई  का मज़बूत होना ज़रूरी है एक मात्र यही पार्टी है  जो कि लोकतान्त्रिक मान्यताओ को संक्षित रख सकी है बाकी तो सभी व्यक्तिगत स्वार्थ मे अंधे हो चुके हैंविडंबना ही है की सी पी आई  का नेतृत्व दूसरो के हितसाधन मे आँख  मूँद कर जुट जाता  है।
लेकिन अब ऐसा हुआ तो विद्रोह हो जाएगा ??

अब तो  कार्यकर्ता शहादत की राजनीति संमने को तैयार नही है
हम अपनी लाश पर औरों  को ऐश करने  नही देंगे  30 अक्टोबर देल्ही कन्वेन्षन की रणनीति का खुलासा किया जाये । 
पार्टनर तुम्हारी पॉलिटिक्स क्या है???
 
Anand Prakash Tiwari shared Kamlesh Verma's status.

Confused kendriy netritwa aatmsamarpan ki Rajniti karke sarwnash kar diya CPI ka .samay asgaya hai Netritwa se bhi vidroh Karene ka.sang than me vikas aur mazbpoti ke liye sahyog ke sath hi dabav bhi banana hoga .kuchh log CPI ka vikas nahi chahte, unhe chinhit kar benakab karma hogs .sabhi Bam zanwadi logo ko ekzoot karma samay kind manga hai.

Zanta hamari maa hai .Iski gond me hum suraxot rate hain.Door hone par n bachcha suraxit rahatahai n hi maa
https://www.facebook.com/anandprakash.tiwari.7/posts/491148407659818 
Anand Prakash Tiwari shared Ashoo Gupta's photo.
ये हैं तीसरे मोर्चा के हीरो । सभी हैं पी एम इन वेटिंग। 

मदारी बन पाएगा सी पी एम ?? 
Yehi hain TeesreMorcha ke hero .sabhi hain PM in waiting.
Madari bun payega CPM ??

Bhartiya Loktantra ke liye is khandhar CPI ka mazboot hona zaroori hai.Ek matra yahi party hai zoLoktantrik manytao ko sangrakxit rakh Saki hai .Baki to sabhi vyktigat swarth me andhe ho Chuke hain.vidambana hi hai ki CPI ka netritwa doosro ke hitsadhan me aankh moodkar zoot zata hai.
Lekin ab aisa huaa to vidroh ho jayega ??
About karykarta shahadat ki Rajniti samzhne ko taiyar nahi hai.
Hum apni lash par auto ko aissh Karen nahi denge. 30 October Delhi convention ki RANANITI ka khulasa kiya jay .
PARTNER tumhari POLITICS kya hai???

Saturday, 26 October 2013

पटना रैली में नेताओं का उद्बोद्धन उबाऊ और बेदम था: उनके प्रति विद्रोह हो जाएगा?? ---आनद प्रकाश तिवारी

  बी जे पी और कॉंग्रेस की  रैलियो का  इतना हो हल्ला है.?सी पी आई  की पटना रैली मे गाँधी मैदान पट गया जहा क नज़र पहुंची  लाल झण्डा  और सिर ही सिर दीख रहा थालोगो का कहना था  बहुत साल बाद इतनी भीड़  दीखी
ग़ज़ब का उत्साह दीखा साथियो मे । लेकिन  नेताओ का उदबोद्धन  उतना ही उबाउ और बेदम था प्रोग्राम के स्तर पर कन्फ्यूज़ दीखे
फिर भी लगा ये आगाज़ है आने वाले  दिनों  मे उठने वाले  सैलाब का
  लखनऊ  30 सेप.की रैली  मे शामिल पार्टी कार्यकर्ताओ के दस गुना  लोग शामिल हुए 25 ऑक्टोबर पटना रॅली मेलेकिन हम निश्चित रूप से कह सकते हैं ज़ो राजनीतिक संदेश  लखनऊ  से निकला वो छाप  पटना नही छोड़  पाया
कल हमने  पटना मे क से पूरे  गाँधी मैदान , मंच क  छान डाला। लखनऊ मे ज़हा हर कार्यकर्ता को मालुम था क्या बोला जाएगा और ज़िज्ञासा  थी क्या बोला गया वही पटना मे मंच से क्या बोला गया इससे किसी को मतलब नही था ..उन्हे तो पार्टी के साथ खड़ा होना था  सो पूरे  उत्साह  के साथ खड़े हुए ।  वे नेतृत्व  के प्रति आश्वस्त थे  कि पुरानी ग़लतियाँ नही होंगी।
नेता कन्फ्यूज़ हैं क्या करे?

उन्हे लगता है अपने बल पर लोकसभा सीट जीत नही पाएँगेलालू की इस  जेल यात्रा से परेशान हैं नीतीश के लिए इनका साथ लाभदायक नही हैंलेफ्ट यूनिटी इनके सीट पर वोट नही बढ़ा सकतीसभी सीटों पर ये लड़ें नही इसलिए सहयोगी दलों  को इनको  फाड़ना ही है
दिल्ली  अभियान मे तीसरे मोर्चे का राग सी पी एम  के साथ ही कुछ दलों  को सूट करता है उन्हे इसका सीधा ही  लाभ मिलेगा लेकिन सी पी आई  का सर्वनाश सुनिश्चित है । यह बात हमारे केंद्रिय नेता समझने को तैयार नही, या फिर सी पी एम  के आतंक से प्रेरित है ।
सी पी एम  अपने हित  मे रणनीति बनाती है । हमारा खून बहाके अपनी शहादत  का ढ़ोल पीटती है।
कॉंग्रेस को  छोड़ कर सेक्युलर सरकार बनाने का ठेका ले रक्खा हैउस मे ही सी पी आई (एम एल), टी एम सी,  द्रमुक, एन सी , अगप, एल जे पी , राजद, बीजद, यू के डी से बात नही करेंगे । हाँ  से बनेगी सरकार हाँ  इस अभियान मे सी पी आई  का सर्वनाश सुनिश्चित है।
भारतीय लोकतंत्र  के लिए इसके  अंदर  सी पी आई  का मज़बूत होना ज़रूरी है एक मात्र यही पार्टी है  जो कि लोकतान्त्रिक मान्यताओ को संक्षित रख सकी है बाकी तो सभी व्यक्तिगत स्वार्थ मे अंधे हो चुके हैंविडंबना ही है की सी पी आई  का नेतृत्व दूसरो के हितसाधन मे आँख  मूँद कर जुट जाता  है।
लेकिन अब ऐसा हुआ तो विद्रोह हो जाएगा ??

अब तो  कार्यकर्ता शहादत की राजनीति संमने को तैयार नही है
हम अपनी लाश पर औरों  को ऐश करने  नही देंगे।  30 अक्टोबर देल्ही कन्वेन्षन की रणनीति का खुलासा किया जाये । 
पार्टनर तुम्हारी पॉलिटिक्स क्या है???
 
  Anand Prakash Tiwari
BJP aur Congress ke Railiyo ko itna ho halla hai.?
CPI ki PATNA rally me Gandhi Maidan pat gaya .jaha tuk nazar pahuchi Lal zhanda aur sir hi sir deekh raha tha.logo ka kahna that bohut sal bad itni beer deekhi .
Gazab ka utsah deekha sathiyo me .Leki Netao ka Udbodhan utna hi Ubau aur Bedam tha .program ke star par confuse deekhe .
Phir bhi laga ye aagaz hai Aane Wale Dino me uthane wale Sailab ka

 Narendra Parihar vote katoo rajneeti hai ... sahmat hu ye dohari mansikta me hai ........ matlab ye vicharo ko tyag apna bhala dekh rahe hai॰



Lucknow 30 Sep.ki Rally me shamil Party karykartao ke DUS Guns log shamil huye 25 Oct. Patna Rally me.Lekin hum nishchit roop se kah sakte hain zo Rajnitik Sundesh Lucknow se nikla woh chhap PATNA nahi chhor paya .
Kal hum Patna me sarak se poorer Gandhi Maid an, manch tuk chhan dala.Luchnow me zaha har karykarta ko maloom tha kya bpla jayega aur zigyasa thi kya bola gaya wahi Patna me manch se kya bola gaya isase kisi ko matlab nahi tha ..Unhe to party ke sath khara hona that so poore Utah ke sath khara huye .we Netritwa ke prati aaswasth gain ki purani galteeya nahi hongi.
Neta confuse hain kya kare?
Unhe lagta hai apne ball par loksabha seat jeet nahi payenge.laloo kind jail yatra se parmesan hain .Nitish ke liye inka sath labhdayk nahi hain.Left unity inke seat par vote nahi barha sakti.Sabhi sea to par ye large nahi isliye sahyogi dalo ko inka far nahi hai.
Delhi abhiyan me teesre morche ka rag CPM ke sath hi kuchh dalo ko soot karta hai .unhe iska seed he labh milega Lekin CPI ka Sarvnash sunishchit hai .yeh bat hamare kendriya Neta samzhne ko taiyar nahi, ya phir CPM ke aatank se peer it hai .
CPM apne hit me rananiti banati hai .hamara khoon bahake apni shahadat kadhol peetati hai.
Congress ko chorkar Secular sarkar banane ka theka le rakkha hai.us me hi CPI ML, TMC DMK, NC, AGP, LJP, RJD BJD, UKD se bat nahi karenga.kaha se banegi sarkar ha is abhiyan me CPI ka sarwnash sunishchit hai.
Bhartiya Loktantra ke liye is khandhar CPI ka mazboot hona zaroori hai.Ek matra yahi party hai zoLoktantrik manytao ko sangrakxit rakh Saki hai .Baki to sabhi vyktigat swarth me andhe ho Chuke hain.vidambana hi hai ki CPI ka netritwa doosro ke hitsadhan me aankh moodkar zoot zata hai.
Lekin ab aisa huaa to vidroh ho jayega ??
About karykarta shahadat ki Rajniti samzhne ko taiyar nahi hai.
Hum apni lash par auto ko aissh Karen nahi denge. 30 October Delhi convention ki RANANITI ka khulasa kiya jay .
PARTNER tumhari POLITICS kya hai???


क्या 30 अक्तूबर का दिल्ली सम्मेलन लखनऊ की 30 सितंबर रैली की सफलता पर पानी फेर देगा ?---विजय राजबली माथुर

रैली मार्च 30 सितंबर,लखनऊ

30 सितंबर ,ज्योतिबा फुले पार्क,लखनऊ
"जहां तक रैली की भौतिक सफलता का प्रश्न है रैली पूर्ण रूप से सफल रही है और कार्यकर्ताओं में जोश का नव संचार करते हुये जनता के मध्य आशा की किरण बिखेर सकी है। लेकिन क्या वास्तव में इस सफलता का कोई लाभ प्रदेश पार्टी को या राष्ट्रीय स्तर पर मिल सकेगा?यह संदेहास्पद है क्योंकि प्रदेश में एक जाति विशेष के लोग आपस में ही 'टांग-खिचाई' के खेल में व्यस्त रहते हैं। यही वजह है कि प्रदेश में पार्टी का जो रुतबा हुआ करता था वह अब नहीं बन पा रहा है। ईमानदार और कर्मठ कार्यकर्ताओं का उत्पीड़न एक पदाधिकारी विशेष द्वारा निर्लज्ज तौर पर किया जाता है और उसको सार्वजनिक रूप से वाह-वाही प्रदान की जाती है। एक तरफ ईमानदार IAS अधिकारी 'दुर्गा शक्ती नागपाल'के अवैध निलंबन के विरुद्ध पार्टी सार्वजनिक प्रदर्शन करती है और दूसरी तरफ उत्पीड़क पदाधिकारी का महिमामंडन भी। यह द्वंदात्मक स्थिति पार्टी को अनुकूल परिस्थितियों का भी लाभ मिलने से वंचित ही रखेगी। तब इस प्रदर्शन और इसकी कामयाबी का मतलब ही क्या होगा?"  --- http://vidrohiswar.blogspot.in/2013/09/3-30.html

लखनऊ में सम्पन्न 30 सितंबर 2013 की सफल रैली के संबंध में मैंने यह विवरण लिखा था। इस रैली में हमारे प्रदेश व केंद्रीय पदाधिकारियों ने एक स्वर से 'केंद्र सरकार'के साथ-साथ 'उ प्र की सपा सरकार 'की कटु आलोचना की थी। उसी 'सपा' के मुखिया को 30 अक्तूबर 2013 के दिल्ली सम्मेलन में  ससम्मान बुलाया गया है। प्रदेश के सुदूर कोने-कोने से आए प्रदेश की सपा सरकार के सताये हजारों कार्यकर्ताओं को लखनऊ में यह आशा बंधी थी कि अब हमारा पार्टी नेतृत्व सही दिशा में कदम बढ़ाएगा। किन्तु पार्टी के वरिष्ठ नेता द्वारा जब दिल्ली सम्मेलन में सपाध्यक्ष मुलायम सिंह को ससम्मान बुलाये जाने की घोषणा की गई तो प्रदेश पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने उस पर तीखी प्रतिक्रिया  (पिछली पोस्ट)दी जो साधारण कार्यकर्ताओं की ही आवाज़ है । लोकसभा चुनावों में भाकपा द्वारा सपा का समर्थन करने से पार्टी कार्यकर्ताओं में निराशा व हताशा का घनघोर संचार होगा जो उनको उदासीन ही बनाएगा। तब मेरे द्वारा व्यक्त उपरोक्त आशंका ही सच होगी। 

सी पी आई की स्थापना 1925 में हुई थी जो आज सबसे पुरानी पार्टी है क्योंकि 1885 में स्थापित कांग्रेस तो 1977 में'जनता पार्टी' में विलय कर चुकी है,सोनिया जी की अध्यक्षता वाली कांग्रेस की स्थापना 1969 में इन्दिरा गांधी ने की थी जो कि 'कांग्रेस (आई)'है । लेकिन दुर्भाग्य है कि जिस पार्टी को आज जन-समर्थन से सत्ता में होना चाहिए था उसके शीर्ष नेता गण शोषकों-उतपीडकों की पार्टी और उसके नेताओं की परिक्रमा कर रहे हैं। 

जिस सपा को समर्थन की बात की जाती है और जो खुद को डॉ लोहिया का वारिस बताती है उसके इतिहास से बड़े नेता गण नावाकिफ कैसे हैं?डॉ राम मनोहर लोहिया की पहल पर कांग्रेस के भीतर ही 'कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी' की स्थापना 1930 में सिर्फ सी पी आई की बढ़त को रोकने हेतु ही की गई थी जो आज़ादी के बाद कांग्रेस से स्वतंत्र हो गई। डॉ लोहिया का साहित्य इन घोषणाओं से भरा हुआ है कि भारत के लिए 'पूंजीवाद' और 'साम्यवाद' दोनों ही अनुपयुक्त हैं। डॉ लोहिया की पहल पर 'चित्रकूट' में 'रामायण मेला' की शुरुआत हुई थी जिसके सहारे उ प्र में 'जनसंघ' ने बढ़त हासिल की और 1967 में पहली बार प्रदेश की सत्ता में भागीदारी भी हासिल की। डॉ लोहिया की इच्छा के मुताबिक ही 'जे पी' सर्वोदय को त्याग कर 'सम्पूर्ण क्रांति' का विचार लेकर आगे आए और उनके आंदोलन के बल पर 'जनसंघ' 1977 में 'जनता पार्टी 'में विलीन होकर केंद्र की सत्ता में पहली बार भागीदारी कर सका । जनता पार्टी के सत्ताच्युत होने के बाद जनसंघ 'भाजपा' के रूप में अवतरित हो गया। 1989 की वी पी सरकार भाजपा की बैसाखी के हटने से ही गिर गई और चंद्रशेखर ने आडवाणी से गले मिल कर इसके लिए धन्यवाद अदा किया था। 

1991 में राजीव गांधी की हत्या से उत्पन्न परिस्थियों ने पुनः इन्दिरा कांग्रेस को सत्तारूढ़ कर दिया। सत्ता वापिसी के बाद जिस प्रकार इन्दिरा जी ने 1980 में जन-विरोधी नीतियों का वरण किया था  उसी प्रकार नरसिंघा राव जी ने मनमोहन जी के परामर्श से 'उदारीकरण' के नाम से पूंजीवाद की शरण ली जिस पर छह वर्षों तक भाजपा सरकार भी चली मनमोहन सरकार के तो कहने ही क्या?मनमोहन सरकार को जब परमाणु समझौते के विरोध में सी पी आई ने भी हटाना चाहा था तो 'सपा' और 'मुलायम सिंह'ने ही उसे बैसाखी सा सहारा दिया था और आज भी 'सपा' की बैसाखी पर ही मनमोहन सरकार टिकी हुई है। 

इन परिस्थितियों में मनमोहन सरकार के विकल्प हेतु 'सपा' के सहयोग व समर्थन का मतलब क्या है?क्या 30 सितंबर की लखनऊ रैली और कल  25 अक्तूबर की पटना रैली 



तीनों चित्र :25 अक्तूबर,गांधी मैदान,पटना


से उ प्र व बिहार में पार्टी कार्यकर्ताओं में उत्पन्न जोशो-खरोश को  सपा -मुलायम सहयोग से समाप्त करने का ही कोई हेतु तो 30 अक्टोबर का दिल्ली सम्मेलन नहीं बनने जा रहा है?

Friday, 25 October 2013

उ प्र भाकपा बगावत की राह पर :ए पी तिवारी के तीखे तेवर

 रविवार 20 अक्तूबर 2013 को एक प्रेस कान्फरेंस में वरिष्ठ भाकपा नेता कामरेड अर्धेंधू भूषण वर्धन ने 30 अक्तूबर के सम्मेलन में भाग लेने वाले दलों का खुलासा किया था-
 

"The Janata Dal (United), the SP, the Janata Dal (Secular), the CPI, the CPI (Marxist), the Nationalist Congress Party and the All India Anna Dravida Munnetra Kazhagam (AIADMK) are among those who will attend the convention."

जिसमें मुलायम सिंह के सपा को शामिल किए जाने पर उ प्र भाकपा में तीखी प्रतिक्रिया हुई है जिसका प्रस्फुटीकरण कामरेड आनंद प्रकाश तिवारी द्वारा जारी इस बयान से होता है:
" सेक्युलर पार्टी मे इन्हें  क्यो न शामिल किया ज़ा रहा, बसपा , लोजपा , भाकपा (माले),तृणमूल कांग्रेस , टी डी पी , द्रमुक , एन सी पी , नेशनल कान्फरेंस , यू के डी ,ए डी आदि।  यह सारा प्रेम धोखेबाज़ मुलायम सिंग यादव पर ही क्यो केंद्रित है। उ प्र  मे ही आज ये औचित्यहीन हो चुके हैं .इनको साथ लेंने से  से चुनाव पूर्व  सी पी आई को क्या मिलेगा ? हम इंनकी गंदगी   क्यो धोए?
चुनाव बाद के ईक्वेशन में कॉंग्रेस के साथ  ही इन सभी दलो की भूमिका मुलायम से ज़्यादा विश्वसनीय होगी।
उ प्र  मे फिलहाल सी पी आई  ज़ो प्रयोग कर रही है उस मे बाधा  डालना ठीक नही । इन्ही हरकतों  से हिन्दी बेल्ट मे पार्टी हाशिये  पर आ गयी है । अब तो  यह खेल बंद होना चाहिए । बुज़ुर्गियत का नाज़ायज़ फ़ायदा ठीक नही। ऐसा न हो कि पार्टी की रैंक  एंड  फाइल अनावश्यक सम्मान देना भूल जाये।
चुनाव पूर्व  मुलायम की  चर्चा बंद होनी चाहिए । उन्हे उनकी करनी के साथ उनके हाल पर छोड़  दे।
करनी ही है तो अपनी चिंता लाते कॉमरेड!"




Anand Prakash Tiwari shared Communist Party of India's photo.
Secular party me in he kyo n shamil kiya za raha, BSP, LJP, CPIML, TMC, TDP, DMK, NCP, NC, UKD AD etc.
Yeh Sara prem Dhokhebaz mulayam singh yadav par hi kyo kendrit hai.UP me hi aaj ye auchityheen ho chuke hain .inko sath lens se chunav poorw CPI ko kya milega ? Hum ink I Gandhi kyo dhoye.
Chunaw bad ke equation Congress ke saith hi in sabhi dalo ki bhumika Mulayam se zyada vishwsniya hogi.
UP me philhal CPI zo prayog kar rahi hai us me bad ha dalna thick nahi .inhi harkato se Hindi belt me party hasiye par aa gayi hai .about yeh khel band hona chahiye .Buzurgiyat ka nazayaz fayada thick nahi. Aisa n ho kind party ki rank & file anawashyak samman Dena bhool jay.
Chunaw poor Mulayam kind charcha band honi chahiye ..Unhe unki karni ke sath unke Hal par chhor de
Karni hi hai to apni chinta late com.

किसान जल जंगल भूमि की लड़ाई को आखिरी सांस तक लड़ेगा---रणधीर सिंह सुमन

सरकारें उद्योगपतियों के एजेंट21-10-2013 

बाराबंकी। किसानों की भूमि अधिग्रहण प्रस्ताव के विरोध में किसान सभा के नेतृत्व में जेल भरो नारे के साथ जुलूस निकाला गया। जुलूस गांधी भवन से चलकर लखनऊ रोड होते हुए तहसील, जिलाधिकारी कार्यालय, अतिरिक्त जिलाधिकारी कार्यालय होते हुए डी0आर0डी0ए0 होकर सभा में परिवर्तित हो गया। प्रशासन ने कोई गिरफ्तारी नहीं की।
    सभा को सम्बोधित करते हुए भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के जिला सचिव कामरेड बृजमोहन वर्मा ने कहा कि किसान जल जंगल भूमि की लड़ाई को आखिरी सांस तक लड़ेगा और किसी भी कीमत पर अपनी भूमि का अधिग्रहण नहीं होने देगा। वहीं किसान नेता रशीद अहमद वारसी ने कहा कि यह सरकार किसानों की व दस्तकारों की दुश्मन है। सरकार ने दश्तकारों की रोजी रोटी छीन ली है और अब वह किसानों की रोजी रोटी छीनने की कोशिश कर रही है।
    भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के जिला सह सचिव रणधीर सिंह सुमन ने कहा कि आन्दोलन यहीं नही समाप्त होता है, दीपावली तक किसानों को प्रशिक्षित किया जायेगा। किसान आन्दोलन तब तक जारी रहेगा जब तक भूमि अधिग्रहण का प्रस्ताव प्रशासन वापस नहीं ले लेता है। पार्टी के राज्य परिषद सदस्य डा0 उमेश चन्द्र वर्मा ने कहा कि  पूंजीवादी व्यवस्था में सरकारें उद्योगपतियों के एजेंट के रूप में कार्य कर रही हैं। जुलूस का नेतृत्व किसान सभा के जिलाध्यक्ष विनय कुमार सिंह, अमर सिंह प्रधान, जियालाल वर्मा कर रहे थे। जुलूस में पुष्पेन्द्र कुमार सिंह, राम नरेश वर्मा, राजेश सिंह, विपतराम, दल सिंगार, गिरीश, नीरज वर्मा, राजेन्द्र एडवोकेट, रमाशंकर शर्मा, उमाकान्त, विष्णु त्रिपाठी, मो0 शाहिद, वीरेन्द्र वर्मा, श्रवण कुमार आदि प्रमुख लोग थे।
    जुलूस में किसान लखनऊ विकास प्राधिकरण मुर्दाबाद, जिला प्रशासन मुर्दाबाद, ये दीवानें कहां चले, जेल चले भाई जेल चले आदि नारें लग रहे थे।


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किसानो की यह जंग जारी रहेगी
बाराबंकी। किसानो की 163 ग्राम पंचायतों की जमीन छीन कर उत्तर प्रदेश सरकार टाउनशिप बसाना चाहती है। बड़े-बड़े माल, स्विमिंग पूल, फाइव स्टार होटल बनाने का कार्यक्रम है। किसानो की आम की बाग़, लहलहाते केलों के झुण्ड, धान की फसलें, गेंहू के खेत, मेंथा की हरियाली की जगह किसानो की रोजी-रोटी छीन कर उनको भूखा मार देने की उक्त योजना के विरोध में ग्राम मुबारकपुर में आज से क्रमिक भूख हड़ताल प्रारंभ हो गई है।
यह जानकारी देते हुए भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य परिषद् सदस्य डॉ उमेश चन्द्र वर्मा ने बताया कि आज क्रमिक भूख हड़ताल पर कांशीराम के नेतृत्व में महेश प्रसाद, राम विलास, मायाराम व भिखारी लाल 24 घंटे के लिए बैठे हैं। यह क्रमिक भूख हड़ताल 20 अक्टूबर तक चलेगी।
डॉ उमेश वर्मा ने आगे बताया कि 17 अक्टूबर से किसान सभा के नेतृत्व में विशुनपुर, बरौली जाटा, मसौली, मलूकपुर, जीयनपुर, मोहम्मदपुर बंकी, कोलागांव, भगवंतनगर, अजगना, चंदनपुरवा, महुवामऊ, अलीपुर समेत अन्य कई गाँवों में क्रमिक भूख हड़ताल किसान प्रारभ करेंगे। किसानो की यह जंग भूमि अधिग्रहण के खिलाफ अंतिम निर्णय होने तक जारी रहेगी। किसान एक भी इंच जमीन अधिग्रहण नहीं करने देगा।

नीरज वर्मा
मंत्री
अखिल भारतीय किसान सभा, बाराबंकी

Thursday, 24 October 2013

वाम एकता का 'कांटा' सी पी एम को बाहर करना पड़ सकता है---आनंद प्रकाश तिवारी


  •  सत्य कथन : लेफ्ट यूनिटी  के नाम पर हम बार बार शहादत देते हैं। लेकिन अब ऐसा नही होगा, ख़ासकर उ प्र मे । भले ही वृहत्तर बांम एकता का काँटा सी पी एम  को बाहर ही क्यो न करना पड़े

    यदि मुलायम सिंह  यादव को सद्बुद्धि आ जाये तो ववैकल्पिक राजनीतिक  मंच के हिस्सा बन सकते हैं। जिसका नेतृत्व  उ प्र  मे सी पी आई  करेगी । लोकसभा चुनाव  मे इसका बसपा से सीधा संघर्ष  होगा।
    उ प्र का परिणाम केंद्रीय सत्ता का आधार होगा।
    मिस्टर.मुलायम को वक़्त की नज़ाकत संमझनी चाहिए । कुछ पाने के लिए कुछ खोना भी होगा । उन्हे ईगो  छोड़ कर वैकल्पिक  राजनीतिक मंच (VRM)  का हिस्सा बन जाना चाहिए । उनकी किस्मत का ताला यहीं  से खुल सकता है । अन्यथा उनकी साइकल पंकचर  होना सुनिश्चित  है। लेफ्ट चाह कर भी अब उनकी साख वापस नही करा सकता । उनकी ज़्यादा होशियारी से लाभ भाजपा  और बसपा  के हिस्से चला जाएगा....



    Anand Prakash Tiwari Saty kathan .LeftUnity ke Nam par hum bar bar shahadat dete hain.Lekin ab aisa nahi hoga, khaskar UP me .bhale hi vrihattar bamekta ka kanta CPM ko bahar hi kyo n karna pare.
    Yadi Mulayam singh yadav ko sadbuddhi as jay to wo Vaikulpik Rajnotik Manch ke hissa bun sakte gain .Jiska netritwa UP me CPI karegi .Loksabha chunawe me iska BSP se seedha sanghsrsh hpga .
    UP ka parinam kendriy satta ka aadhar hpga .
    Mr.Mulayam ko waqt ki nazakat samzhani chahiye .kuchh pane ke liye kuchh khona bhi hoga .unhe I go chhorkar VRM kahissa bun Jana chahiye .Unki kismat ka TALA yahi se khool sakta hai .anytha unki Cycle punchar hona sunischit hai .Left chah kar bhi ab unki sakh wapas nahi Kara sakta .unki zyada hosiyari se labh BJP aur BSP ke hisse chala jayega....
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    (कामरेड आनंद प्रकाश तिवारी जी का आंकलन पूर्णता: सही है लगभग ऐसा ही सुझाव मैंने अपने ब्लाग-'क्रांतिस्वर' में उ प्र विधानसभा चुनावों से पूर्व दिया था। उस अनुरूप तो नहीं फिर भी खुद को पीछे हटा कर और अखिलेश को आगे ला कर कुछ हद तक अमल भी किया गया है। इसी प्रकार अब पहले ही से मुलायम सिंह जी को कामरेड आनंद प्रकाश तिवारी का सुझाव मान कर जनहित में कदम उठाना चाहिए। ---विजय राजबली माथुर )
     

Monday, 21 October 2013

भाकपा का सत्याग्रह/गिरफ्तारी ---विजय राजबली माथुर



  भाकपा प्रदेश कार्यालय द्वारा जारी एक सूचना के अनुसार आज पूरे प्रदेश में लगभग 15000 लोगों ने सत्याग्रह और गिरफ्तारी आन्दोलनों में हिस्सेदारी की है। सत्याग्रह में भागीदार लोग 10 सूत्रीय मांग पत्र को स्वीकार किये जाने की मांग कर रहे थे। अलग-अलग जिलों में पार्टी के राज्य मंत्रिपरिषद, कार्यकारिणी और राज्य कौंसिल सदस्यों एवं पार्टी के जिला मंत्री के नेतृत्व में गिरफ्तारियां दी गयीं। राज्य की राजधानी लखनऊ में सत्याग्रह का नेतृत्व राज्य मंत्रिपरिषद की सदस्या आशा मिश्रा, राज्य कार्यकारिणी सदस्य सुरेन्द्र राम एवं जिला सचिव मो. खालिक ने किया। मऊ में पार्टी सह सचिव एवं पूर्व विधायक इम्तियाज अहमद के नेतृत्व में गिरफ्तारी हुई। केन्द्रीय सचिव मंडल के सदस्य अतुल कुमार अंजान भी  विशेष रूप से उपस्थित थे। 

भाकपा ज़िला कार्यालय, कैसरबाग,  लखनऊ  से गगनभेदी नारों के साथ एक वृहद जुलूस हज़रत गंज स्थित गांधी प्रतिमा पर पहुंचा जहाँ वह एक सभा में परिवर्तित हो गया। धरना  सभा को जिलामंत्री कामरेड मोहम्मद ख़ालिक़ के अलावा संबोधित करने वाले अन्य लोगों में आशा मिश्रा, कान्ति मिश्रा, सुरेन्द्र राम,मधुकर, रामचन्द्र, अकरम, विजय माथुर आदि थे। 

सभा के उपरांत प्रदर्शनकारियों ने स्वंय को गिरफ्तारी के लिये  प्रस्तुत किया जिस पर प्रशासन ने सभी को गिरफ्तार करने की घोषणा की;बाद में सभी को बिना शर्त रिहा कर दिया गया।  
भाकपा, ज़िला काउंसिल,  लखनऊ की ओर से राष्ट्रपति एवं राज्यपाल के नाम संबोधित ज्ञापन पर निम्नांकित कामरेड्स ने हस्ताक्षर किए :
1) जिलामंत्री मोहम्मद ख़ालिक़ एवं ओ पी अवस्थी तथा मधुकर। 
2 )उत्तर प्रदेश महिला फेडरेशन की सचिव आशा मिश्रा । 
3)राज्य काउंसिल सदस्य परमानंद दिवेदी। 
4)महिला फेडरेशन की जिलाध्यक्ष कान्ति मिश्रा। 
5)नौजवान सभा के मोहम्मद अकरम। 
6)लखनऊ नगर के संयोजक मण्डल के दीपा पांडे  एनुंदीन, अशोक रावत, महेंद्र रावत, राजपाल यादव, बलवंत लोधी, रामचन्द्र, विजय माथुर, विद्यावाती, मो शरीफ, मो शकील, राम गोपाल शर्मा। 

मुख्यमंत्री के नाम संबोधित एक अन्य ज्ञापन द्वारा लखनऊ नगर की समस्याओं को उठा कर उनके शीघ्र निस्तारण की मांग की गई। 

भारतीय महिला फेडरेशन,उत्तर प्रदेश की ओर से मुख्यमंत्री को संबोधित एक अन्य ज्ञापन द्वारा माननीय काशीराम शहरी आवास योजना के अंतर्गत लौलाई (चिनहट)में निर्मित भवनों के निवासियों को विद्युत आपूर्ती सुनिश्चित किए जाने की मांग की गई।  

Attack on India's sovereignty and democracy---S.G.Vombatkere

Spying-snooping-scrutiny
Edward Snowden’s expose caused international outrage for NSA infringing on individual privacy, and on friends and foes alike at governmental and public levels. USA’s NATO allies were vocal in their feigned outrage at the revelation that their cyberspace had been secretly invaded by NSA, even their embassies bugged, and data mining performed on their official and private citizens’ communications. True to this writer’s prediction that “there is unlikely to be even a squeak on this sovereignty issue” [Ref.3], India, far from even feigning outrage, has sought to play down USA’s presidentially-sanctioned spying, snooping and surveillance by terming it as “scrutiny” of India’s cyberspace. However, even “scrutiny”, the mildest of the terms [Note 2], is objectionable because it impinges on India’s sovereignty.................................................................................................................................................................................     

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Surveillance and security
Surveillance by USA on India’s leaders and private citizens is bad enough, but India is preparing for its own internal surveillance. Surveillance assumes that the subject surveilled is a suspected spy or a criminal [Note 2]. This assumption for general public surveillance in a democracy is unwarranted because the general public becomes “suspect”. Surveillance of criminal suspects (targetted surveillance) is standard police and intelligence practice and, in a democratic society, is done with appropriate established, well-defined checks and safeguards, so that the power of surveillance is not misused to gain advantage or blackmail or settle scores for political or partisan purposes. Even with checks and balances in place, targetted surveillance has led to innumerable cases of staged or false “encounters” resulting in extra-judicial killings based on questionable intelligence reports, mere suspicion or motivated political orders.

Saturday, 19 October 2013

वामपंथी आंदोलन सही दिशा में आगे बढ़ा होता तो........................शेष नारायण सिंह/असरार खान

Asrar Khan commented on a status.



लोकजनशक्ति पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ,राम विलास पासवान की प्रेस वार्ता में कल मैं भी पंहुच गया . बहुत दुखी थे. लक्ष्मणपुर बाथे में हुए नरसंहार के अभियुक्तों के बरी हो जाने पर बहुत दुखी थे . लेकिन कोई स्टैंड लेने को तैयार नहीं थे .एक समय में वंशवादी राजनीति के घोर विरोधी रहे रामविलास जी के बाएं बाजू उनके पुत्र विराजमान थे और दाहिने बाजू उनके भ्राता . रामविलास जी की राजनीति में वह जादू है कि वी पी सिंह , बीजेपी और कांग्रेस सभी उनको बहुत प्रेम करते हैं और उनको किसी भी पार्टी में सद्गुण नज़र आ जाता है . बस शर्त यह है कि पार्टी को उस वक़्त सत्ता में होना चाहिए . इस बार यू पी ए के समर्थक हैं . इसके पहले एन डी ए के समर्थक भी रह चुके हैं . १९८९ में वी पी सिंह के तो बहुत बड़े सिपहसालार थे . आजकल हमारे कई प्रगतिशील और वामपंथी साथी भी उनके साथ हैं .रामविलास जी अच्छे इंसान हैं.


  • Chanchal Bhu १९८० का रिटायर कामरेड् असरार वहाँ हैं क्या ? हों तो हटा दीजियेगा पासवान के साठ वो भी नाली में न गिर जाय .

  • Amalendu Upadhyaya जी। हमारे वरिष्ठ पत्रकार साथी श्री असरार खान साहब भी लोजपा के राष्ट्रीय सचिव हैं। यह खुशी की बात है http://www.lokjanshaktiparty.org.in/office-_bearers.html

  • Mahesh Rathi BHUTPURVA LOHIAWADI KAH SAKTE HEY?SAMYAWADIO KA TO FILSAFA SAMAJH NAHI AATA KABHI LALOO KO TO KABHI KARUNANIDHI KO APNA NATURAL ALLY MANATE HEY.LAGATA HEY VICHARDHARA BHALE HI DEBATABLE RAHI HO LEKIN VYAKTIO KI IMANDARI BHI INKI SANGAT SE TAI KARE TO TAJJUB WALI HEY.

  • Devendra Yadav कुछ भी कहिये! अब वंशवादी राजनीति पर सभी चुप हैं। ये मुद्दा भी नही बन पायेगा। वस्तुतः लोकतंत्र और राजतन्त्र का कारवां सामानांतर दौड रहा है।



  • Asrar Khan चंचल जी राजनीति में कोई रिटायर नहीं होता ..आज आपने जेपी पर लिखा है जिन्होंने बुढापे में हिलाकर रख दिया था ..../ मैं नौ साल की उम्र में कम्युनिस्ट बन गया था इस तरह २२ साल की उम्र में माकपा का असली चेहरा सामने आ चुका था ...तो उसे छोड़ दिया ....लेकिन उतने बड़े संगठन को छोड़ने के बाद अकेले भी लड़ता रहा और आज १९८३ के जेएनयू छात्र आंदोलन में उपलब्धि के नाम पर अगर किसी के पास कुछ है तो वह केवल मेरे पास है .....थोड़ा सा विद्रोही के पास भी होगा लेकिन वह अपनी निजी लड़ाई की वजह न के बराबर ही है ...बाकी सारे छात्र संगठन खलनायक सिद्ध हो चुके हैं ....यह मेरी बड़ी उपलब्धि है जिसे याद करने भर से मेरे अंदर भगत सिंह जैसा साहस पैदा होता है ../ ऐसी अनेको घटनाएं हैं जिन्हें याद करके मैं खुश हो लेता हूँ और मुझे अपनी सोच पर आगे चलने की प्रेरणा स्वतः मिलती रहती है .../

  • Asrar Khan शेष नारायण जी आपने मुझे बहुत अहमियत दिया और इतना बड़ा पोस्ट लिख डाले ...मैं आपका शुक्रिया कैसे अदा करूँ सोच नहीं पा रहा हूँ ...?
    मैं आपको यह बताना चाहता हूँ कि पासवान जी के साथ मैं हूँ और वहाँ पर लोग मुझे जानते हैं कि मैं मार्क्सवादी विचारधारा का समर्थ
    क हूँ ...खुद वे मुझे एक कम्युनिस्ट के तौर पर ही जानते हैं ....यानि कि मैं किसी चोरी से नहीं हूँ ....खैर मैं इतना ही कहना मुनासिब समझता हूँ कि पासवान जी एक बेदाग़ नेता हैं और सभी राजनितिक घरानों की तरह उनके परिवार के लोग भी उनकी पार्टी में हैं उनके साहबजादे भी राजनीति में कदम रख चुके हैं लेकिन उन्होंने कभी भी न तो अपने पिता श्री राम विलास पासवान या किसी अन्य पार्टी मेंबर को अपमानित किया है और न ही किसी ड्रामे के जरिये चर्चाओं में आने की कोशिअश करते हैं ....अभी तक मैंने उन्हें पासवान जी के किसी दस्तावेज को फाड़ते हुए नहीं देखा बल्कि जोड़ते हुए जरूर देखा है .../
    यह भी बताना जरूरी है कि अगर भारत का वामपंथी आंदोलन सही दिशा में आगे बढ़ा होता तो मैं भी वहीँ होता और मेरे जैसे अनेकों लोग जो वामपंथ से निराश होकर इधर-उधर विखर गए हैं और उनकी भूमिका संदिग्ध नज़र आ रही है वे भी वाम के लिए मर मिटते ..

  • Gyanendra Pandey aaj to communist parties bhi avsarvadi ho gayi hein to bechare Ram vilas paswan ji kyon peechhe rahen.