चलो अब वास्तविक नम्बर 1 राज्य केरल की भी अब थोडी चर्चा करलें।
केरल निरंतर शिक्षा, लिंग अनुपात, स्वास्थ्य व्यवस्था, GDP growth क्यों
बढाने मे कामयाब है, भ्रष्टाचार पर कैसे काबू है। क्यों लुटेरी बन चुकी
कांग्रेस भी ए.के.अन्टोनी जैसे इमानदार, पुरानी मारूती 800 से काम चलाने
वाले, सादगी भरा जीवन जीने वाले कांग्रेसी पैदा करती है। केरल मे।
आप ये तो जानते ही हैं की केरल साम्यवादी और जनवादी राजनीति की शुरूआत करने वाला प्रदेश रहा है।
केरल मे कम्युनिज्म ताकतवर है। उनकी सरकार वास्तविक सामाजिक व आर्थिक विकास को आगे बढाती है।
कांग्रेस जब अगली बार सत्ता मे आती है तो मजबूत विपक्ष के रूप मे
कम्युनिस्ट रहते हैं जो कांग्रेस की देश व्यापी करतूतों को बढाने की बजाये,
वास्तविक विकासकी राह पर बने रहने
को मजबूर करते हैं। केंद्रीय सरकार भी राज्य मे फिर से कांग्रेस लाने की
कोशिश मे वहां अपनी मदद जारी रखती है। केरल की जनता को भी वास्तविक विकास
का महत्व समझ आ
चुका है। वो देश की पूँजीवादी व्यवस्था से प्रभावित हो
कर कांग्रेस को ले तो आते हैं। लेकिन अगली बार फिर वास्तविक विकास करने
वाले कम्युनिस्टों को सत्ता मेलाने को मजबूर होते हैं। बंगाल ने भी
सभी विकास के कार्य खूब आगे बढाये लेकिन कांग्रेस की केंद्रीय सरकार ने
वहाँ खुद की स्थिति कमजोर होने की वजह से हमेशा अनदेखी की कोई सहायता
नही की जिससे औधोगिक विकास को बढावा नही मिल पाया। त्रिपुरा के मुख्यमंत्री
मानिक सरकार को FB की वजह से लोगों को जानने का मौका मिला और भाजपा औरकांग्रेसी भी ऐसे नेता देश के लिये जरूरी समझते हैं लेकिन उनका मानना है।
की वो गलत पार्टी मे हैं अब ऐसे लोगों को क्या बताऊँ की मानिक सरकार जैसे
हीरे कम्युनिज्म ही पैदा कर सकता है। आज के इस दौर मे भाजपा, कांग्रेस मे तो ऐसे गरीब लोगों को सरपंच का चुनाव लडने का टिकट नही मिलेगा।
खैर अब देश की जनता को तमाम पूँजीवादी चमकीले प्रचार के बाद ये समझना होगा की अगर देश को केरल की राह पर बढाना है तो, देश मे कम्युनिज्म को मज़बूत करना होगा। वरना
भाजपा वाडेरा पर चुप रहेगी और कांग्रेस वंजारा पर। ऐक बार भाजपा FDI लायेगी
और
मनमोहन सिहं चिट्ठी लिख राष्ट्रपति को उसका विरोध करेंगे और खुद
शासन मे आने के बाद उसी FDI को ले आयेंगे और भाजपा उसका विरोध करगी। इस तरह
की राजनीतिक चर्चा ये पूँजी वादी मीडिया कभी नही करेगा। ऐक बात और यहाँ
कहना जरूरी समझता हूँ अगर 92 के
साम्प्रदायिकता के खेल मे भाजपा की
ताक़त नही बढी होती तो अब तक देश को लूटने वाली कांग्रेस या तो केरल की तरह
कम्युनिस्टों के विकास की राह पर चलने पर मजबूर होती या देश से गायब हो
चुकी होती।
चलो अब वास्तविक नम्बर 1 राज्य केरल की भी अब थोडी चर्चा करलें।
केरल निरंतर शिक्षा, लिंग अनुपात, स्वास्थ्य व्यवस्था, GDP growth क्यों बढाने मे कामयाब है, भ्रष्टाचार पर कैसे काबू है। क्यों लुटेरी बन चुकी कांग्रेस भी ए.के.अन्टोनी जैसे इमानदार, पुरानी मारूती 800 से काम चलाने वाले, सादगी भरा जीवन जीने वाले कांग्रेसी पैदा करती है। केरल मे।
आप ये तो जानते ही हैं की केरल साम्यवादी और जनवादी राजनीति की शुरूआत करने वाला प्रदेश रहा है।
केरल मे कम्युनिज्म ताकतवर है। उनकी सरकार वास्तविक सामाजिक व आर्थिक विकास को आगे बढाती है।
कांग्रेस जब अगली बार सत्ता मे आती है तो मजबूत विपक्ष के रूप मे कम्युनिस्ट रहते हैं जो कांग्रेस की देश व्यापी करतूतों को बढाने की बजाये, वास्तविक विकासकी राह पर बने रहने को मजबूर करते हैं। केंद्रीय सरकार भी राज्य मे फिर से कांग्रेस लाने की कोशिश मे वहां अपनी मदद जारी रखती है। केरल की जनता को भी वास्तविक विकास का महत्व समझ आ
चुका है। वो देश की पूँजीवादी व्यवस्था से प्रभावित हो कर कांग्रेस को ले तो आते हैं। लेकिन अगली बार फिर वास्तविक विकास करने वाले कम्युनिस्टों को सत्ता मेलाने को मजबूर होते हैं। बंगाल ने भी सभी विकास के कार्य खूब आगे बढाये लेकिन कांग्रेस की केंद्रीय सरकार ने वहाँ खुद की स्थिति कमजोर होने की वजह से हमेशा अनदेखी की कोई सहायता नही की जिससे औधोगिक विकास को बढावा नही मिल पाया। त्रिपुरा के मुख्यमंत्री मानिक सरकार को FB की वजह से लोगों को जानने का मौका मिला और भाजपा औरकांग्रेसी भी ऐसे नेता देश के लिये जरूरी समझते हैं लेकिन उनका मानना है। की वो गलत पार्टी मे हैं अब ऐसे लोगों को क्या बताऊँ की मानिक सरकार जैसे हीरे कम्युनिज्म ही पैदा कर सकता है। आज के इस दौर मे भाजपा, कांग्रेस मे तो ऐसे गरीब लोगों को सरपंच का चुनाव लडने का टिकट नही मिलेगा।
खैर अब देश की जनता को तमाम पूँजीवादी चमकीले प्रचार के बाद ये समझना होगा की अगर देश को केरल की राह पर बढाना है तो, देश मे कम्युनिज्म को मज़बूत करना होगा। वरना भाजपा वाडेरा पर चुप रहेगी और कांग्रेस वंजारा पर। ऐक बार भाजपा FDI लायेगी और
मनमोहन सिहं चिट्ठी लिख राष्ट्रपति को उसका विरोध करेंगे और खुद शासन मे आने के बाद उसी FDI को ले आयेंगे और भाजपा उसका विरोध करगी। इस तरह की राजनीतिक चर्चा ये पूँजी वादी मीडिया कभी नही करेगा। ऐक बात और यहाँ कहना जरूरी समझता हूँ अगर 92 के
साम्प्रदायिकता के खेल मे भाजपा की ताक़त नही बढी होती तो अब तक देश को लूटने वाली कांग्रेस या तो केरल की तरह कम्युनिस्टों के विकास की राह पर चलने पर मजबूर होती या देश से गायब हो चुकी होती।
केरल निरंतर शिक्षा, लिंग अनुपात, स्वास्थ्य व्यवस्था, GDP growth क्यों बढाने मे कामयाब है, भ्रष्टाचार पर कैसे काबू है। क्यों लुटेरी बन चुकी कांग्रेस भी ए.के.अन्टोनी जैसे इमानदार, पुरानी मारूती 800 से काम चलाने वाले, सादगी भरा जीवन जीने वाले कांग्रेसी पैदा करती है। केरल मे।
आप ये तो जानते ही हैं की केरल साम्यवादी और जनवादी राजनीति की शुरूआत करने वाला प्रदेश रहा है।
केरल मे कम्युनिज्म ताकतवर है। उनकी सरकार वास्तविक सामाजिक व आर्थिक विकास को आगे बढाती है।
कांग्रेस जब अगली बार सत्ता मे आती है तो मजबूत विपक्ष के रूप मे कम्युनिस्ट रहते हैं जो कांग्रेस की देश व्यापी करतूतों को बढाने की बजाये, वास्तविक विकासकी राह पर बने रहने को मजबूर करते हैं। केंद्रीय सरकार भी राज्य मे फिर से कांग्रेस लाने की कोशिश मे वहां अपनी मदद जारी रखती है। केरल की जनता को भी वास्तविक विकास का महत्व समझ आ
चुका है। वो देश की पूँजीवादी व्यवस्था से प्रभावित हो कर कांग्रेस को ले तो आते हैं। लेकिन अगली बार फिर वास्तविक विकास करने वाले कम्युनिस्टों को सत्ता मेलाने को मजबूर होते हैं। बंगाल ने भी सभी विकास के कार्य खूब आगे बढाये लेकिन कांग्रेस की केंद्रीय सरकार ने वहाँ खुद की स्थिति कमजोर होने की वजह से हमेशा अनदेखी की कोई सहायता नही की जिससे औधोगिक विकास को बढावा नही मिल पाया। त्रिपुरा के मुख्यमंत्री मानिक सरकार को FB की वजह से लोगों को जानने का मौका मिला और भाजपा औरकांग्रेसी भी ऐसे नेता देश के लिये जरूरी समझते हैं लेकिन उनका मानना है। की वो गलत पार्टी मे हैं अब ऐसे लोगों को क्या बताऊँ की मानिक सरकार जैसे हीरे कम्युनिज्म ही पैदा कर सकता है। आज के इस दौर मे भाजपा, कांग्रेस मे तो ऐसे गरीब लोगों को सरपंच का चुनाव लडने का टिकट नही मिलेगा।
खैर अब देश की जनता को तमाम पूँजीवादी चमकीले प्रचार के बाद ये समझना होगा की अगर देश को केरल की राह पर बढाना है तो, देश मे कम्युनिज्म को मज़बूत करना होगा। वरना भाजपा वाडेरा पर चुप रहेगी और कांग्रेस वंजारा पर। ऐक बार भाजपा FDI लायेगी और
मनमोहन सिहं चिट्ठी लिख राष्ट्रपति को उसका विरोध करेंगे और खुद शासन मे आने के बाद उसी FDI को ले आयेंगे और भाजपा उसका विरोध करगी। इस तरह की राजनीतिक चर्चा ये पूँजी वादी मीडिया कभी नही करेगा। ऐक बात और यहाँ कहना जरूरी समझता हूँ अगर 92 के
साम्प्रदायिकता के खेल मे भाजपा की ताक़त नही बढी होती तो अब तक देश को लूटने वाली कांग्रेस या तो केरल की तरह कम्युनिस्टों के विकास की राह पर चलने पर मजबूर होती या देश से गायब हो चुकी होती।
सहमत हूँ
ReplyDeleteसादर
फेसबुक मेंप्राप्त टिप्पणी---
ReplyDeleteAsrar Khan :कामरेड मानिक सरकार एएआई के संस्थापकों में से हैं जिन लोगों ने १९७० में इसका पहला सम्मलेन किया था ...सरकार को सरकार चलाने का अच्छा अनुभव है लेकिन अब उनसे और बड़ा काम लिया जाता तो लेफ्ट को बहुत बड़ा फायदा हो सकता है ...प्रकाश करात माकपा के महासचिव के तौर पर असफल सिद्ध हुए हैं जिसे देखते हुए यदि सरकार को महासचिव बनाकर केवल माकपा को ही नहीं पूरे लेफ्ट को नई दिशा और गति प्रदान की जा सकती है ......उनको थर्ड फ्रंट का पीएम कंडीडेट भी बनाया जा सकता है ...